Emotional Story In Hindi

  • अपनी क्षमताओं में विश्वास करें, Believe in your abilities

    एक जंगल में एक पेड़ की साख पर एक छोटा सा पक्षी बैठा था। वह एक डाल से दूसरी डाल पर कुत्ता फिर तीसरी डाल पर, वह निर्भीक हो के प्रकृति का आनंद ले रहा था। अचानक से जंगल में तूफान आ गया और हवाएं बहुत जोर से चलने लगी, ऐसा लगने लगा कि सारे पेड़ टूट कर गिर जाएंगे।
    पर उस छोटे से पक्षी को कोई डर ना था, उसे विश्वास तक क्यों तूफान से अपने आप को बचा लेगा। अगर एक साथ टूट गई तो फिर वह दूसरे साथ पर जाकर बैठ जाएगा। जंगल में ना तो पेड़ों की कमी थी और ना ही शाखों की।
    वो जानता है अपनी शक्ति को, उसके पास उड़ने को पंख है, और यही पंख उसकी शक्ति है, और यही उसका विश्वास है।
    तो दोस्तों हमें इस कहानी से सीखने मिलती है – मुसीबत आए तो इस नन्हे पक्षी की तरह निर्भीक होकर सामना करो, मत बोलना कि विपरीत परिस्थितियों में ही हमारा सर्वश्रेष्ठ बाहर निकलता है।
    याद रखना की पतंग हवा के विपरीत ही उड़ती है, मत भूलना कि जब कोई रास्ता नहीं होता तभी बहुत से रास्ते होते हैं। बशर्त यह की हमें खुद पर विश्वास और अपनी क्षमता पर भरोसा हो।

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  • मेहनती किसान, Diligent farmer

    यह कहानी है एक किसान की, जो की बहुत मेहनती था। वह बड़ी मेहनत से खेतों में अनाज उगाता था और उसकी देखभाल करता था। पर अक्सर ही उसकी फसल खराब हो जाती थी।
    कभी सूखा पड़ जाता, कभी बाड़ आ जाती, या कभी तेज धूप, और कभी आंधी। कोई ना कोई वजह से उसकी फसल खराब हो ही जाती थी।
    1 दोनों किस पेड़ के नीचे बैठकर अपनी बर्बाद हुई फसल को देख रहा था, और तभी वह गुस्से में आसमान की तरफ देखकर भगवान से कहता है ” की मालिक आपको सब बहुत महान मानते हैं और सबसे ज्यादा ज्ञानी मानते हैं, कहते हैं कि आप सब जानते हैं! लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आपको कुछ भी नहीं पता। “
    मुझे यह लगता है कि आपको तो यह भी नहीं पता होगा, की फसल कैसे होती है! अगर आप यह जानते होते, तो हर समय जो बाढ़, आंधी, और तूफान आते हैं, वह कभी नहीं आती।
    आप नहीं जानते कि कितना नुकसान उठाना पड़ता है हम किसानों को। अगर मेरे हाथ में शक्ति होती, की जैसा मैं चाहूं, वैसा मौसम हो जाए, तो फिर आप देखना मैं फसल को कितने अच्छे तरीके से उगाता हूं।
    तभी उतने में ऊपर से एक आवाज आई, ” ले मैं तुझे यह ताकत देता हूं कि आज से तू जैसा चाहे वैसा मौसम करके अपने फसल को उड़ा सकता है, और अपनी फसलों की हिफाजत कर सकता है। “
    एक-दो दिन गुजारने के बाद किस ने फिर से अपने खेत में गेहूं की फसल उगाई, अब किसान के पास तो शक्ति थी, वह जैसा चाहे वैसा मौसम कर सकता था। तो किसान ने आंधी, तूफान, और बाढ़, कुछ भी उसने अपने खेतों पर आने नहीं दिया।
    किसान ने अपनी फसलों को बर्बाद होने से बचाया, और उस साल उस किसान के खेत में ऐसी फसल हुई, जो पहले कभी नहीं हुई थी। मन-ही-मन किसान बहुत खुश हो रहा था और साथ ही साथ यह सोच भी रहा था कि भगवन को बताऊंगा, कि इसे कहते हैं शक्ति का सही इस्तेमाल।
    कुछ दिन और गुजरने के बाद फसल काटने के लिए तैयार हो गई, किसान बड़े उत्सुकता के साथ फसल को काटने लगा, पर जैसे ही उसकी नजर गेंहू की बोलियां पर पड़ी, तो वह हैरान हो गया। क्योँकि उन वालियों में, गेहूं के दाने ही नहीं थे।
    गेंहू के एक भी बाली के अंदर, गेहूं का दाना ही नहीं था, सारी बालियां अंदर से खाली थी। अब वह किस बड़ा परेशान हो गया, और फिर से भगवान को पुकारने लगा। वह जोर-जोर से चिल्ला कर यह कह रहा था ” भगवान शायद तूने मुझे कोई सजा दी है! तभी ऊपर से आवाज आई कि मेने तुम्हें कोई सजा नहीं दिया है, बल्कि इसकी जिम्मेदार तो तुम खुद हो!”
    तुमने अपने पौधों को संघर्ष करने का मौका ही नहीं दिया। ना तो तुमने उन्हें आंधियों से जूझने दिया, ना ही तेज बारिश से सहने दिया, और ना ही धूप में तपने दिया। एक भी चुनौती का सामना तुमने उन्हें नहीं करने दिया, इसीलिए सारे पौधे अंदर से खोखले रह गए।
    जब आंधी, तूफान, तेज बारिश, और धूप पड़ती है तभी यह पौधे संघर्ष करते हैं, और इसी संघर्ष से ताकत पैदा होती है। जिसमें पावर होता है, एनर्जी होती है और इसी संघर्ष से गेहूं का दाना बनता है।
    तूने उन्हें बुरे वक्त से गुजरते ही नहीं दिया, जहां उनका बनावट होता, सारी बालियां इसीलिए खोकली रह गई, क्योंकि तुमने अपने पौधों को संघर्ष कराया ही नहीं।
    सेम यही चीज दोस्तों हमारे साथ भी होती है, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: कि बुरा वक्त जो होता है, जिसे लोग संघर्ष कहते हैं, स्ट्रगल कहते हैं, यहीं से एक इंसान की तरक्की होती है।
    आपको पता होगा कि जब एक डायरेक्टर कोई मूवी बनता है, तो डायरेक्टर सबसे डिफिकल्ट रोल, अपने बेस्ट एक्टर को देता है। तो जब भी आपको ऐसा लगे, कि आपकी जिंदगी में तकलीफ है, बहुत ज्यादा प्रॉब्लम्स है, और आपकी किस्मत खराब है, तब खुश हो जाइए, क्योंकि उस भगवन ने यह सारी प्रॉब्लम्स आपकी लाइफ में ही क्यों दिया है?
    क्योंकि उसे पता है, कि आप इन सब को पार करके आगे निकल सकते हो। और जरा सोच कर तो देखिए की अगर आपकी जिंदगी में कोई प्रॉब्लम ही ना हो, कोई संघर्ष ही ना हो, तब जिंदगी जीने में मजा ही नहीं आता है।

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  • अपनी आदतों को बदलने , Change your habits

    एक समय का बात है, एक आदमी ट्रेन से कहीं जा रहा था, उसके पास कीमती हीरो की पोटली थी। उस आदमी को 2 दिन और दो रात ट्रेन में गुजारने थे। क्योंकि उतना उसको सफर करना था और उसे कहीं पहुंचना था। सफर के पहले ही दिन एक चोर की नजर उस आदमी के हीरो की पोटली पर पड़ गयी।
    अब चोर ने दिमाग लगाया और एक बड़ा सा बैग लेकर उसे आदमी के पास जाकर बैठ गया, और उस आदमी से मीठी-मीठी बातें करने लगा। चोर ने सोचा की रात में जब सब सो जाएंगे, तो मैं चुपके से उठकर उन हीरे को चुरा लूंगा।
    यह सोचकर चोर बड़ा ही खुश होने लगा। जब शाम का वक्त हुआ 7 या 8 बज रहे थे, तब चोर सो गया। क्योंकि उसे रात में जागना था और हीरे चुराने थे, इसीलिए वो जल्दी से सो गया। जब उस आदमी की सोने का वक्त आया, उस आदमी ने चुपके से अपने हीरो की पोटली अपने बैग में से निकाल कर, उसके पास जो आदमी सोया था उसके बैग में डाल दी।
    और उस आदमी के पास कौन सोया हुआ था? वह चोर ही सोया हुआ था। यह सब करने के बाद वह आदमी आराम से सो गया। रात के जब दो-तीन बज रहे थे, तब वो चोर उठा और उसने देखा सब लोग सो गए हैं। फिर उसने, उस आदमी के बैग को अपनी तरफ खींचा और उस बैग को पूरा चेक कर लिया, उस बैग में कुछ नहीं मिला।
    वह परेशान हो गया, सारी रात उसे आदमी के बैग को चेक करने के बाद जब उसे कुछ ना मिला, तब उसने देखा कि सुबह के 4:00 रहे थे, तब वह सो गया। उसके सोने के बाद वह आदमी उठा, उसने अपने हीरो की पोटली उस चोर की बैग से निकालकर अपने बैग में वापस रख ली।
    जब सुबह हुई और वो चोर सो कर उठा, उसने देखा कि हीरो की पोटली तो उस आदमी के पास ही है, उसे लगा कि मैं रात मेने कुछ गड़बड़ कि है। शायद उस आदमी के बैग को अच्छे से चेक नहीं किया। उसने फिर से प्लान बनाया, कि इस रात बैग को अच्छे से चेक करना पड़ेगा।
    वह चोर फिर से शाम होती ही 7:00 बजे जल्दी से सो गया और उस आदमी ने फिर से अपने हीरो की पोटली को अपने बैग से निकाल कर, उस चोर के बैग में डाल दी। चोर रात में फिर से उठा, उस आदमी के बैग को खिंचा, फिर से ढूंढने लगा, लेकिन हीरे नहीं मिले।
    वह परेशान होकर फिर से सो गया। वह आदमी सुबह के 5:00 बजे उठा अपनी हीरो की पोटली चोर की बैग से निकल कर, अपने बैग में वापस डाल दिया। जब सुबह हुई स्टेशन आया वह आदमी स्टेशन पर उतरा, तो चोर उसके पास आकर कहने लगा ” मैं जिंदगी में कभी चोरी नहीं करूंगा, बस मुझे इतना बता दो की हीरो की पोटली रखी कहाँ थी? “
    उस आदमी ने कहा ” अरे मूर्ख! तू अपना सुख दूसरों की तरफ ढूंढ रहा था अगर तू खुद के अंदर जाता तो तुझे सुख जरूर मिलता। अगर तू अपने गिरेबान में झांकता, तो तुझे पता चलता कि तू चोर नहीं, मालिक था। वो हीरो की पोटली तेरे ही पास थी!”
    दोस्तों इस कहानी से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है: हमेशा अपना सुख दूसरों की तरफ ढूंढते रहते हैं और बहुत से लोग हमारी जिंदगी में आते जाते रहते हैं। कोई हमें सुख देता है तो कोई हमें दुख देता है। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अपनी खुशी दूसरों पर निर्भर कर देते हैं। जबकि अगर आप खुद के अंदर झांकोगे, अपने खुद के गिरेबान मेंझांकोगे तो आपको किसी चीज की कमी महसूस नहीं होगी।

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  • चीजों का सामना करते समय ध्यान से सोचें , Think carefully while facing things

    यह गांव में एक व्यापारी रहता था, उसकी एक खूबसूरत बेटी थी। एक बार उसे व्यापारी पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया था और जिस आदमी से उसे व्यापारी ने कर्ज लिया था, वो उसी गांव का था, और बहुत ही घटिया आदमी था। तो ब्यापारी उस आदमी का कर्ज चुका नहीं पा रहा था,
    तो उस आदमी ने सारे गांव वालों को जमा किया, और व्यापारी के घर पर जाकर व्यापारी से कहा कि ” अगर तुम मेरा कर्जा दे नहीं पा रहे हो तो अपनी बेटी की शादी मुझ से कर दो। ” यह सुनने के बाद भी वह व्यापारी चुप रह। क्योंकी वो मजबूर था!
    और ये सारी बातें, घर में बैठी उस व्यापारी की बेटी सुन रही थी। थोड़ी देर के बाद उस आदमी ने गांव वालों और व्यापारी से कहा की ” ठीक है! में एक थैली में सफेद और एक काला पत्थर डालूंगा, और इसकी बेटी को थैली में से, कोई एक पत्थर निकालना पड़ेगा।
    अगर सफेद पत्थर निकला तो मैं कर्ज भी माफ कर दूंगा और इसकी बेटी से शादी भी नहीं करूंगा। लेकिन अगर काला पत्थर निकला, तो कर्जा तो मैं माफ कर दूंगा, मगर इसको अपनी बेटी से मेरी शादी करवानी पड़ेगी।
    व्यापारी की लड़की इस बात के लिए राजी हो गई और सारे गांव वाली भी। उस आदमी ने थैली के अंदर सबके सामने दो पत्थर डालें। लेकिन बड़े ही चालाकी से उस आदमी ने दोनों ही पत्थर उस थैली में काले डाले थे।
    और यह व्यापारी की बेटी को दिख गया था के थैली के अंदर दोनों ही पत्थर काले थे। अब वह लड़की सोंच में पड़ गई थी, कि मैं जो भी पत्थर निकालूंगी वहकाले ही पत्थर होंगे। और अगर काला पत्थर निकला, तो कर्जा माफ हो जाएगा, लेकिन मुझे उससे शादी करनी पड़ेगी।
    और अगर मैंने सारे गांव वालों को यह बता दी, कि इस आदमी ने थैली में दोनों ही पत्थर काले डाले हैं, तो कर्ज़ा भी माफ नहीं होगा और यह आदमी, आज नहीं तो कल मेरे बाबा से बदला जरूर लेगा।
    लड़की यह सोच ही रही थी की लड़की को तभी थैली से पत्थर निकालने को कहा गया। लड़की ने थैली में हाथ डाला और एक पत्थर बाहर निकाला, और बिना किसी को बताएं उस पत्थर को जमीन पर गिरा दिया।
    और जमीन पर गिरने के बाद, वह पत्थर दूसरे पत्थरों में मिल गया। तभी लड़की ने सबसे कहा कि ” अब कैसे पता चलेगा, कि मैंने जो पत्थर निकला था वह सफेद था या काला था? “
    लड़की ने कहा थैली में जो दूसरा पत्थर है, उसे देखो! अगर थैली में सफेद पत्थर है, तो मेने काला पत्थर निकला था। और अगर थैली में काला पत्थर है, तो मेने सफेद पत्थर निकला था।
    और थैली में तो सिर्फ काले ही पत्थर थे। और सभी गांव वालों ने यह समझ लिया, की लड़की ने जो पत्थर निकला था वह सफेद था। इसलिए व्यापारी का कर्ज भी माफ हो गया और उसकी बेटी को, उस आदमी से, शादी भी नहीं करनी पड़ी।
    जिंदगी में इंसान कई बार मजबूर हो जाता है, और उसके सामने जो हालत होती है, उसे उसी के हिसाब से चलना पड़ता है।
    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: जब भी आप मजबूर हो जाओ और मजबूरी में आपका कोई फायदा उठाना चाहता हो, दो इनोसेंट मत बनो, बल्कि अपने दिमाग का इस्तेमाल करो। जितने इनोसेंट बनने की कोशिश करोगे, लोग उतना ज्यादा आपको चीट करेंगे।
    अब इसका मतलब यह नहीं कि आप लोगों को गालियां देना ही शुरू कर दो, बल्कि इसका मतलब यह है कि आप समंदर की तरह बनो। मतलब यह है कि आप समंदर की तरह खामोश रहो, लेकिन उसकी गहराई की तरह अपने दिमाग में नॉलेज रखो।

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  • लिफाफे को दबाएं, Push the envelope

    एक बार एक सर, क्लास में इंटर हुए और सारे बच्चों की तरफ देखने लगे। थोड़ी देर के बाद उन्होंने अपने हाथ में एक चौक लिया और बोर्ड पर एक लकीर बना दिया, होरिजेंटल टाइप की एक लाइन बना दी।
    और सारे बच्चों से बोला कि ” बच्चों इस लाइन को छोटी करके बताओ! ” यह सुनते ही उन सारे बच्चों में से एक बच्चा उठ कर आया और सर ने जो बोर्ड़ पर लाइन बनाई थी, उसे डस्टर से मिटाने लगा।
    तो सर ने उस बच्चों का हाथ पकड़ लिया और सारे बच्चों की तरफ देखकर कहने लगे कि ” लाइन को छोटी करके बताओ, वह भी बिना मिटाए! ” अब यह सुनते ही सारे बच्चे हैरान हो गए कि इस लाइन को बिना मिटाये कैसे छोटी करें!
    हर बच्चा अपना अपना दिमाग लगा रहा था, अपना अलग तरीके से सोच रहा था। थोड़ी देर के बाद उन सारे बच्चों में से एक बच्चा उठकर आता है और ब्लैक बोर्ड के पास खड़ा हो जाता है और सोचने लगता है।
    सोचते सोचते ही उस बच्चों ने सर के हाथ से चौक लिया और सर ने जो लाइन बनाई थी, उसके ऊपर एक बड़ी लाइन बना दी। इससे हुआ क्या इससे यह हुआ जो सर ने लाइन बनाई थी, वह छोटी हो गई उस बड़ी लाइन के सामने।
    फिर सर बच्चों को देखकर मुस्कुराये और सारे बच्चों से कहने लगे कि ” बच्चों अगर तुम्हें जिंदगी में कामयाब होना है, सक्सेसफुल होना है और अमीर बनना है तो कभी भी जिंदगी में किसी को गिराओ मत, किसी को छोटा मत करो।
    बल्कि तुम खुद जिंदगी में इतने बड़े बन जाओ, इतने कामयाब बन जाओ, और इतने आगे निकल जाओ की वह खुद-ब-खुद छोटा हो जाएगा। और यह सब कब होगा, जब आप मेहनत करोगे! हद पार मेहनत करोगे।
    इतनी मेहनत करो कि किस्मत खुद कहे की ले ले बेटा, यह तेरा ही हक़ है। मैं जानता हूं यह कहानी बहुत छोटी थी, लेकिन इससे जो हमें सीख मिलती है वह बहुत बड़ी सिख थी।

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  • ज्ञान के लिए पथ , Path to wisdom

    एक जंगल में एक साधु बहुत सालों से तपस्या कर रहा था, वह एक पेड़ के नीचे बैठकर अपनी तपस्या में मगन था। उस जगह पर पानी की बाढ़ आ जाती है, सारे लोग इधर से उधर भाग रहे थे, और यह साधु अपनी तपस्या में मगन थे।
    इन्हें पता नहीं था कि पानी की बाढ़ आ चुकी है जब एक आदमी वहां से भाग रहा था, तो उसने इस साधु को देखा और इन्हें सावधान किया की पानी की बाढ़ आ चुकी है! सारे लोग यहां से भाग रहे हैं, आप भी यहां से चलो!
    तो उस साधु ने कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ” कुछ देर के बाद पानी साधु के गले तक आ गया, तभी वहां से कुछ लोग नाव में बैठकर भाग रहे थे, उन्होंने जब साधु को देखा तो उनसे कहा कि आप हमारे साथ नाव में बैठ जाओ! वरना आप डूब जाएंगे।
    लेकिन साधू ने फिर से वही कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ” और वह लोग भी, वहां से नाव लेकर चले गए। थोड़ी देर के बाद जब पानी बढ़ने लगा, तो वह साधु एक पेड़ पर चढ़ गए।
    तभी वहां से एक हेलीकॉप्टर गुजर रहा था, जो लोगों को बचा रहा था। जब उन्होंने इस साधु को देखा, तो साधू की तरफ रस्सी फेंकी और उन्हें ऊपर आने को कहा, लेकिन साधू ने फिर से वही कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ”
    और वह हेलीकॉप्टर वाले भी वहां से चले गए। धीरे-धीरे पानी बढ़ने लगा और वह साधु पानी में डूब कर ही मर गया। जब वो मरने के बाद भगवन के पास पहुंचा, तो उसने भगवन से कहा कि “मेने आपकी इतनी तपस्या की, इतना आपको रात-दिन याद किया, आपने मुझे बचाया क्यों नहीं?
    तो भगवन ने कहा ” अरे बेवक्कूफ़! तुझे बचाने के लिए, तीन बार मैंने ही तो उन तीनों इंसानों को भेजा था! ” एक बार पैदल, दूसरी बार नाव लेकर, और तीसरे बार हेलीकॉप्टर लेकर।
    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: कि खुदा हमेशा किसी न किसी को जरिया बनाकर भेजता है, हमारी मदद करने के लिए। लेकिन हम अपने घमंड में उन्हें पहचान नहीं पाते हैं, और ऐसे मौके हाथ से गवा देते हैं।

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  • उन चीजों पर अपना समय बिताएं जो वास्तव में बात करते हैं, Spend your time on things that really matter

    एक बार एक शिक्षक कक्षा में कुछ ले आयाउसने मेज़ पर एक बड़ा जार रखा और जार में कुछ बड़े पत्थर रखे।जार बड़े पत्थरों से भरा हुआ था, लेकिन पत्थरों के बीच कुछ स्थान था।
    कक्षा में बच्चों को देखो और उनसे पूछो: क्या आपने जार भर दिया है?हाँ, सभी बच्चे!मैंने जवाब दिया।तब शिक्षक ने छोटे-छोटे कंकड़ लेकर उन्हें जार में फेंक दिया और धीरे से जार को धक्का दिया।
    जार में बड़े पत्थरों के बीच का खाली हिस्सा उन छोटे कंकड़ से भर गया।तो शिक्षक ने बच्चों से पूछा, "क्या बोतल तैयार है?"सभी बच्चों को फिर से यहाँ हैं!मैंने जवाब दिया।एक बच्चे के रूप में, हाँ!शिक्षक ने अपने बैग से एक सैंडबॉक्स लिया और इसे जार में डाल दिया।
    जार का छोटा सा छेद रेत से भरा हुआ था।तो शिक्षक ने फिर से पूछा।क्या यह अच्छा जार भरा है?
    बच्चों ने फिर सिर हिलाया।हाँ!उसी तरह सेशिक्षक ने बच्चों को देखा और उनसे कहा, "चलो इस बर्तन को अपनी जिंदगी की तरह लें और उन बड़े पत्थरों को जोड़ दें, वे आपके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण और अनमोल चीज़ें हैं।"
    उदाहरण के लिए, आपका परिवार, आपका साथी, आपका स्वास्थ्य, और आपके बच्चे।यदि आप अपने जीवन में सब कुछ खो देते हैं और यह आपके द्वारा छोड़ी गई एकमात्र चीज़ है, तो आपका जीवन अभी भी लायक हैकंकड़ हमारे पास अन्य चीजें हैं जो आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    उदाहरण के लिए, आपकी नौकरी, आपकी नौकरी, आपका व्यवसाय, आपका घर, और आपकी कारक्या रेत है, यह आपके जीवन में सबसे छोटी चीज है जो आपको चलती रहती है भले ही आपके पास यह न हो।
    तो मैं तुम्हें यह कहानी बताना चाहती हूँ, पहले अगर तुम अपने जीवन के जार में रेत डालो, तब पत्थर और कनवर्टर्स के लिए जगह ही नहीं बची रहेगी।
    यदि आप छोटी सी चीजों पर अपनी सारी ऊर्जा और समय बिताते हैं, तो यह आपके जीवन पर भी लागू होता हैउन चीजों पर अपना समय बिताएं जो वास्तव में बात करते हैं

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  • एक चित्रकार की कहानी, Story of a painter

    एक पेंटर था, जो बहुत ही अच्छी पेंटिंग्स बनाया करता था। एक बार उस पेंटर ने ऐसी पेंटिंग बनाई जिसके बाद, उसे लगने लगा था की यह पेंटिंग उसकी जिंदगी की सबसे अच्छी पेंटिंग बनी है।
    जिसमें कोई भी गलती नहीं थी। वह बहुत ही खुश हुआ और सभी लोगों को अपनी वो पेंटिंग बताने लगा। उसने पेंटिंग अपने एक दोस्त को दिखाई और उस दोस्त को यह कहा: कि ये मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी पेंटिंग है, इसमें कोई भी गलती नहीं है।
    उसके दोस्त ने उससे कहा कि अगर तुम्हें सच में यह देखना है, की इस पेंटिंग में कोई भी गलती नहीं है, तो तुम इस पेंटिंग को एक चौराहे पर लगा दो, जहां पर लोग आते जाते रहते हैं।
    और वहां एक बोर्ड लगा दो और उस पर लिख दो कि अगर आपको इस पेंटिंग में कोई भी गलती दिख रही है, तो वहां पर एक काला निशान लगा दीजिए।
    उस पेंटर ने वैसा ही किया, अपनी पेंटिंग को एक चौराहे पर लगा दिया और वहां पर एक कला ब्रश रखकर वहां से चला गया। जब वह पेंटर शाम को वापस आया तो उसने देखा कि उसकी पेंटिंग पर इतने निशान थे, के वो पेंटिंग पूरी काली हो गई थी।
    वो पेंटर, रोते हुए अपनी उसी दोस्त के पास गया और उसको सारी बात बताई और लगा कि मुझे तो लगता था कि इस पेंटिंग में कोई भी गलती नहीं है। लेकिन लोगों ने तो इसमें बहुत सारी गलतियां निकाल ली।
    सब कुछ सुनने के बाद, उसके दोस्त ने उससे कहा: कि तुम एक और सेम टू सेम ऐसी ही पेंटिंग बनाओ और उस पेंटिंग को उसी चौराहे पर रख देना। लेकिन अब वहां पर लिखना की इस पेंटिंग में आपको जहां पर भी गलती दिख रही है, वहां सुधार कर दीजिए।
    उस पेंटर ने ऐसा ही किया एक वैसी ही पेंटिंग बनाई और उसे उसी चौराहे पर रख दिया। और वहां पर कुछ ब्रश भी रख दिए और वहां से चला गया।
    जब शाम हुई और वह पेंटर वापस आया तो उसने देखा कि उस पेंटिंग में कुछ भी बदला हुआ नहीं था, वह पेंटिंग जैसी की वैसी ही थी। उसमें कुछ भी सुधार या बदलाव नहीं था। पेंटर यह देखकर हैरान हो गया और अपने दोस्त को सारी बातें बताई।
    उसके दोस्त ने उससे कहा: कि दोस्त! इस दुनिया में गलतियां निकालने वाले बहुत मिलते हैं, जो एक सेकंड में अच्छी वाली चीज में गलती निकाल देते हैं। लेकिन अगर उनसे कहा जाए की गलती तो निकाल दिया आपने,
    अब इसमें सुधार भी कर दीजिए, तो कोई नहीं करता, कोई भी सामने नहीं आता। इसीलिए हमें लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

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  • अलग सोचो, Think differently

    एक आदमी बहुत गरीब परिवार से था, वह बहुत दिनों से नौकरी की तलाश कर रहा था, लेकिन उसे अपने शहर में नौकरी नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में उसने दूसरे शहर में नौकरी तलाश करने का फैसला किया। उसने अगले ही दिन ट्रेन पकड़ी और दूसरे शहर की तरफ निकल गया।
    उसके मां ने एक टिफिन में रोटियां रख दी थी, वह आदमी इतना गरीब था कि उसके घर में सब्जी नहीं बनती थी क्योंकि सब्जियों के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में बस उसकी मां ने रोटियां ही बनाई थी और उसको टिफिन में रख दी थी।
    जब उसका आधा सफर तय हो गया तो उसे भूख लगी, उसने टिफिन निकाला और रोटियां खाने लगा। जिस तरह से वह रोटियां खा रहा था उसके आसपास बैठने वाले लोग उसे देख रहे थे। वह पहले रोटी तोड़ता फिर टिफिन में घुमाता, जैसे कि उस टिफिन में सब्जी हो, फिर निवाला बनकर अपने मुंह में डालता।
    ऐसा लग रहा था कि मानो रोटी के साथ सब्जी भी खा रहा है। लोग उसे हैरान से देख रहे थे वह ऐसा क्यों कर रहा है, उन्हें समझ नहीं आ रहा था! एक आदमी ने उससे पूछ ही लिया की ” भाई तुम्हारे पास में केवल रोटी ही है, तो तुम रोटी को घुमाकर मुंह में क्यों डाल रहे हो? “
    उस आदमी ने जवाब दिया कि हां मेरे पास केवल रोटी ही है। लेकिन इस खाली टिफिन में रोटी घूमर में यह सोचकर खा रहा हूं कि मैं रोटी के साथ आचार भी खा रहा हूं। दूसरे व्यक्ति ने पूछा ” क्या इससे उसे आदमी को अचार का स्वाद आता है?”
    उस आदमी ने कहा कि मैं रोटी अचार सोच कर खा रहा हूं तो मुझे स्वाद भी आ रहा है। जब उसके आसपास बैठने वाले लोगों ने यह बात सुनी तो एक आदमी बोला कि अगर सोचा ही था तो आचार्य क्यों सोचा? मटर पनीर या शाही पनीर सोच लेते! इस तरह तुम उन सब्जियों का भी मजा ले पाते।
    तो दोस्तों इसे हमें यह सीख मिलती है बड़ा सोचो तभी सफलता बड़ी होगी, अगर आदमी के सपने बड़े होंगे तभी सफलता भी बड़ी होगी इसके लिए आदमी को बड़ा सोचा होगा। जिंदगी में अगर कुछ बड़ा करना है तो आदमी को अपनी सोच बड़ी रखनी चाहिए अगर आदमी के सपने बड़े होंगे तभी सफलता भी बड़ी मिलेगी। लेकिन शुरुवात हमेशा छोटी से ही होती है। बून्द-बून्द से सममानदर!

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  • अपने आप पर यकीन रखो, Believe in yourself

    एक लड़का था, जिसे फुटबॉल खेलने का बहुत शौक था, वह हर दिन मैदान में प्रेक्टिस करने के लिए आता और बहुत ज्यादा प्रैक्टिस करता। उसके पिता भी अक्सर वही मैदान के कोने में बैठे चुपचाप मैदान की ओर देखते रहते थे।
    उस लड़के की लगन को देखते हुए स्कूल के कोच ने उस लड़के को स्कूल की टीम में शामिल तो कर लिया, लेकिन उसकी 12वां खिलाड़ी यानी एक एक्स्ट्रा प्लेयर के जगह में रखा।
    कुछ दिनों बाद जब स्कूल के मैच शुरू हुए तो लड़का क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल के दौरान चार दिन हो गए लेकिन वह मैदान में पहुंचा ही नहीं।
    लेकिन फाइनल मैच के दिन वह मैदान में पहुंच गया और अपने कोच से जाकर कहा ” कि सर आपने हमेशा मुझे अपने टीम में एक एक्स्ट्रा प्लेयर के जगह पर रखा है, कभी भी में टीम में खेलने का मौका ही नहीं दिया।
    लेकिन प्लीज! आज मुझे खेलने का एक मौका जरूर दें। उस के कोच ने उस लड़के की बात सुनी और कहा ” कि सॉरी बेटा! मैं तुम्हें यह मौका नहीं दे सकता क्योंकि टीम में तुमसे अच्छे खिलाड़ी मौजूद है।
    और वैसे भी यह फाइनल मैच है, स्कूल की इज्जत दाव पर लगी है। मैं तुम्हें यह मौका देकर आज के दिन कोई भी रिस्क नहीं ले सकता। “
    लड़के ने फिर कोच से कहा, कि सर प्लीज आज मुझे खेलने दे, और मैं वादा करता हूं कि मैं आज आपके विश्वास को टूटने नहीं दूंगा।
    लड़के ने बहुत रिक्वेस्ट भी की, यहां तक की उसकी आंखों में इसी बीच, हल्की सी आंसू भी छलक आए। इससे पहले इस लड़के ने इस तरह कभी भी रिक्वेस्ट नहीं की थी।
    कोच को भी लगा कि मुझे इस लड़के को एक मौका जरूर देना चाहिए। कोच ने कहा कि बेटा ठीक है, आज तुम खेलो, लेकिन एक बात याद रखना ” मैंने यह फैसला अपने एक बेहतर फैसले के खिलाफ लिया है। “
    और स्कूल की इज्जत दाग पर लगी है बस मुझे अपने इस फैसले पर शर्मिंदा न होना पड़े। खेल शुरू हुआ और लड़का तूफान की तरह खेला, उस लड़के को जब भी फुटबोल मिलती थी वह उस फुटबोल को गोल करके ही रहता था।
    और उसकी टीम को उस लड़के की वजह से बहुत ही शानदार चीज मिली। मैच खत्म हो गया और वह लड़का इस मैच का हीरो बन गया। खेल खत्म होने के बाद कोच ने उस लड़के के पास जाकर कहा “कि बेटा मैं इतना गलत कैसे हो सकता हूं? “
    ” मैंने पहले तुम्हें कभी भी इतना शानदार खेलते हुए नहीं देखा, यह चमत्कार कैसे हुआ? तुम इतना अच्छा कैसे खेल गए? “
    उस लड़के ने अपने कोच से कहा ” मुझे मेरे पिताजी खेलते हुए देख रहे थे। ” कोच ने मैदान के उस कोने में देखा, जहां इस लड़के के पिता अक्सर बैठा करते थे।
    लेकिन आज वहां कोई भी नहीं बैठा था, कोच उस लड़के से फिर पूछा कि बेटा तुम जब भी प्रेक्टिस करने आते थे, तो तुम्हारे पिताजी अक्सर वहां बैठा करते थे, लेकिन आज वह वहां पर नहीं है।
    उस लड़के ने अपने कोच को ये कहा ” की कोच मैंने आपको यह कभी नहीं बताया कि मेरे पिताजी अंधे थे, और चार दिन पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। आज पहली बार हो मुझे ऊपर से खेलते हुए देख रहे थे।
    और आज किसी भी कीमत पर में मैच हार नहीं सकता था। क्योंकि आज मेरे पास एक बड़ा लक्ष्य था, उद्देश्य था। में आज मर सकता था लेकिन हार नहीं सकता था। “
    और अगर आपके पास अभी तक ऐसी कोई भी वजह नहीं है, तो उसको ढूंढिए जो आपको दिल में एक नया जोश भर दे और भरोसा दिला दे कि अगर आपको अपने आप पर भरोसा है, तो कुछ भी संभव है।

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