Moral Stories In Hindi

  • सच्ची सेवा क्या होती है, What does true service occur

    एक बार दो पड़ोसी राज्यों में युद्ध छिड़ गया। बहुत भयानक युद्ध चल रहा था।
    युद्ध में बहुत सारे सैनिक घायल हो जाते थे। दोनों राज्यों की सेना में ऐसी कर्मचारी भर्ती किए गए थे जिनका काम था युद्धस्थल पर जाकर अपनी-अपनी सेना के घायल सैनिकों की मरहम-पट्टी करना और उन्हें पानी पिलाना।
    उनमें से एक राज्य की सेना का एक कर्मचारी था पंडवरण युद्धस्थल पर जाता और घायल सैनिकों को पानी पिलाता और उनकी मरहम-पट्टी करता।
    उसे जो भी घायल सैनिक नजर आता चाहे वह उसकी अपनी सेना का हो या विरोधी राज्य की सेना का हो, उसकी सेवा करता।
    इस बात पर कुछ सैनिक ने राजा को शिकायत की कि पंडवरण विरोधी राज्य के घायल सैनिकों को भी मरहम-पट्टी करता और उन्हें पानी पिलाता है।
    राजा ने उसे तुरंत बुलाया और उससे पूछा - पंडवरण तुम्हें घायल सैनिक की सेवा के लिए रखा गया है, किन्तु तुम तो विरोधी राज्य के सेना के घायल सैनिकों को भी सेवा कर रहे हो। ऐसा क्यों ?
    पंडवरण बोला - महाराज मेरा कर्म है कि मैं घायलों की सेवा करूं। मैं जब युद्ध स्थल पर जाता हूँ तो मुझे सिर्फ दर्द से कहारते घायल मानव नजर आते हैं। मुझे उनमें अपना या विरोधी नजर नहीं आता है। मुझे सिर्फ अपना कर्म याद रहता है इसलिए मैं हर घायल की सेवा करता हूँ।
    पंडवरण की बात सुनकर राजा ने उसे गले से लगा लिया और कहा - पंडवरण तुम सच्चे सेवक हो।

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi
    कथा का सार यह है कि सेवा अपने या पराए को देखकर नहीं की जाती। जिस सेवा में पक्षपात हो वह सेवा नहीं होती।
    संपूर्ण मानव जाती की एक दृष्टि से सेवा ही सच्ची सेवा है। वह सहज दयावश और मानवता के नाते की जानी चाहिए।

  • लालची दूधवाला, Greedy milkman

    एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में रवि नाम का एक दूधवाला रहता था। वह अपने लालची स्वभाव के लिए जाना जाता था। उसके पास एक गाय थी जो पूरे गांव में सबसे स्वादिष्ट और अधिक मात्रा में दूध दे दी थी। हर सुबह वह दूध निकालता और गांव के लोगों तक पहुंचाता था।
    एक दिन रवि को यह एहसास हुआ कि गांव वालों को उसके गाय का दूध बहुत पसंद आ रहा है। इस बात से उसे बहुत खुशी होती है और उसके लालची दिमाग में एक उपाय आता है। वह सोचता है कि “अगर मैं दूध में पानी मिला दूं तो मैं अपना मुनाफा बढ़ा सकता हूं और किसी को पता भी नहीं चलेगा।”
    उस दिन के बाद से रवि गांव वालों को दूध पहुंचाने से पहले उसमें पानी मिला देता था। उसे लगने लगा था कि वह बहुत चालाक हो गया है और उसके इस काम के बारे में किसी को नहीं पता चलेगा। फिर भी, गांव वालों को दूध के स्वाद में बदलाव नजर आता है क्योंकि उसका स्वाद अब पहले जैसा नहीं था।
    जल्द ही, रवि के दूध में पानी मिलाने की खबर पूरे गांव में फैल जाती है। लोग शिकायत करने लगते हैं और उसके दूध का बहिष्कार करते हैं। लोगों को बहुत गुस्सा आता है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने जिस पर भरोसा किया उसी ने उनके साथ धोखा किया है।
    रवि के गलत काम की वजह से उसका धंधा नीचे गिरने लगता है। उसे अपनी गलती का एहसास होता है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। उसकी गांव वालों की नजर में जो इज्जत थी वह खत्म हो चुकी थी। गांव वाले अब उस पर भरोसा नहीं कर सकते थे और उसका दूध लेने से मना करने लगे।
    अपने किए पर शर्मिंदा होकर रवि ने फैसला किया कि वह अपने काम करने के तरीके बदलेगा। उसने कसम खा ली कि वह एक ईमानदार व्यापारी बनेगा और गांव वालों का भरोसा वापस जीतेगा। रवि ने फिर से गाओं वालों को शुद्ध और बिना मिलावट के दूध देना शुरू कर दिया।
    धीरे-धीरे गांव वालों को रवि के काम करने के तरीके में बदलाव नजर आया और उसकी तारीफ करने लगे। उन्होंने उसे माफ कर दिया और फिर से उससे दूध लेना शुरू कर दिया। रवि ने ईमानदारी के महत्व और लालच के परिणामों के बारे में एक जरुरी सबक सीखा।
    उस दिन के बाद से रवि एक ईमानदार दूधवाले के नाम से जाना जाने लगा। उसे उसकी खोई हुई इज्जत और गांव वालों का भरोसा वापस मिल गया। उसका धंधा फिर से चलने लगा। उसे समझ आ गया कि असली सफलता, ईमानदार होने और ईमानदारी से दूसरों की सेवा करने से आती है।
    “लालच से अस्थायी लाभ हो सकता है, लेकिन यह अंततः भरोसे को खत्म कर देता है। हालाँकि, ईमानदारी और निष्ठा लंबे समय तक चलने वाली सफलता और सम्मान की कुंजी है।”

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi

  • एक बुद्धिमान व्यक्ति, A wise man

    अक्सर चीजे हमें वैसी नहीं दिखती जैसी वे हैं, बल्कि वैसी दिखती हैं जैसे हम हैं ।
    यह एक ऐसे बुद्धिमान वयक्ति की कहानी है जो अपने गाँव के बाहर बैठा हुआ था। एक यात्री उधर से गुजरा और उसने उस व्यक्ति से पूछा, इस गाँव में किस तरह के लोग रहते हैं क्योंकि मैं अपना गाँव छोड़ कर किसी और गाँव में बसने की सोच रहा हूँ।
    तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ?
    उस आदमी ने कहा, वे स्वार्थी, निर्दयी और रूखे हैं।
    बुद्धिमान व्यक्ति ने जवाब दिया इस गाँव में भी ऐसे ही लोग रहते हैं।
    कुछ समय बाद एक दूसरा यात्री वहाँ आया और उसने उस बुद्धिमान व्यक्ति से व्ही सवाल पूछा। बुद्धिमान व्यक्ति ने उससे भी पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ?
    उस यात्री ने जवाब दिया, वहाँ के लोग विनम्र, दयालु और एक-दूसरे की मदद करने वाले हैं। तब बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा, इस गाँव में भी तुम्हें ऐसे ही लोग मिलेंगे।
    आम तौर पर हम दुनिया को उस तरह नहीं देखते जैसी वह है बल्कि जैसे हम खुद है वैसी देखते है।
    इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि -ज्यादातर मामलों में दूसरे लोगों का व्यवहार हमारे ही व्यवहार का आईना होता है।
    अगर हमारी नीयत अच्छी होती है तो हम दूसरों की नीयत भी अच्छी मान लेते हैं। हमारा इरादा बुरा होता है तो हम दूसरों के इरादों को भी बुरा मान लेते हैं।

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi

  • मैना का विश्वास, U trust of myna

    बरसात का मौसम था आसमान में घने बादल छाए हुए थे। नीम के एक पेड़ पर ढेर सारे कौवे काए काय करते हुए इधर से उधर घूम रहे थे और अपना बसेरा ढूंढ रहे थे।
    क्योंकि वे जानते थे कि थोड़ी ही देर में बारिश होने वाली है तभी वह एक छोटी सी मैना आ जाती है सभी कौवे उस पर टूट पड़ते हैं और उस बेचारी मैना को नीम के पेड़ में से चले जाने को कहते हैं।
    मैना उन सब से हाथ जोड़कर विनती करती है कि वह आज रात उसे इसी पेड़ में विश्राम करने दें क्योंकि बारिश होने वाली है और अंधेरा भी हो गया है। मुझे अपना घोंसला भी नहीं मिल रहा यह मैना कहती है। कौवे बहुत निर्दई थे।
    वह मैना से कहते हैं कि तुम यहां से चले जाओ और उसे यह भी कहते हैं वैसे तो तुम ईश्वर का बहुत नाम लेती हो तो तुम इस बारिश से क्यों डर रही हो तुम ईश्वर के भरोसे ही हमारे घोसले से बाहर निकल जाओ।
    इस पर बेचारी मैना को वहां से धक्के मारकर भगा दिया जाता है। मैना भटकते हुए एक आम के पेड़ पर जा पहुंचती है। वही वह खुद को सुरक्षित रखती है रात भर ओले पड़ते हैं। कौवे काय काय करते हुए यहां से वहां भटकते हैं कुछ कौवे तो मर भी जाते हैं।
    आम के पेड़ से एक बड़ी टहनी टूटती है और पेड़ के तले में जाकर एक जगह बनाती है और उसी जगह पर मैना रात बिताती है। इसी प्रकार मैना सुरक्षित बच जाती है। अगली सुबह धूप चमकती है और मैना ईश्वर का धन्यवाद करती हुई वहां से उड़ जाती है।
    रास्ते में उसे घायल और मारे हुए कौवे मिलते है उनमें से एक कौवा मैना से पूछता है आखिर तुम नन्ही सी जान कैसे जीवित बची इतने भयंकर तूफान से। मैना ने कहा मैं रातभर ईश्वर से प्रार्थना करती रही और उन्होंने ही मेरी रक्षा की है और जो मैं आज आपके सामने जीवित खड़ी हूं यह सब ईश्वर की मेहर हैं।
    तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “दुःख में पड़े और असहाय जीव को ईश्वर के अलावा कोई नहीं बचा सकता। इसलिए अपने दुःख में या सुख में हमेशा ईश्वर को ही याद करना चाहिए”।

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi

  • जीवन जीने का अर्थ, The meaning of living the life

    एक आदमी अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहा था।
    अचानक एक दिन उसकी पत्नी बीमार हो गई और बहुत इलाज कराने के बाद भी स्वस्थ नहीं हुई।
    लेकिन दुर्भाग्यवश थोड़े दिनों बाद पुत्र को भी रोग ने आ घेरा और उसे भी लाख उपचार क्ले पश्चात बचाया नहीं जा सका।
    अब तो आदमी पर वज्रपात ही हो गया। वह दिन-रात रोटा रहता। संसार से सर्वथा विरक्त होकर वह एकांतवासी बन गया।
    न किसी से कुछ बात करता और न ही मिलता-जुलता। एक दिन अपने पुत्र का स्मरण कर वह देर रात तक रोता रहा, फिर उसकी आँख लग गई।
    स्वप्न में वह देवलोक जा पहुंचा। वहां उसने देखा कि छोटे बच्चों का जुलूस निकल रहा है।
    उन सभी के हाथों में जलती हुई मोमबत्तियां हैं। उस जुलूस में उसका पुत्र भी चल रहा था, किन्तु उसके हाथ की मोमबत्ती बुझी हुई थी।
    आदमी पहले तो अपने पुत्र से लिपटकर खूब रोया, फिर मोमबत्ती बुझने का कारण पूछा, तो पुत्र बोला - पिता जी ! आप मुझे याद करके बार-बार रोते हैं इसलिए आपके आंसुओं से मेरी मोमबत्ती बुझ जाती है।
    यह सुनते ही आदमी की नींद खुल गई और उस दिन उसने बच्चे के लिए रोना बंद कर दिया उसकी स्मृति में अनाथ बच्चों की मदद करना शुरू कर दिया।
    सार यह है कि रिश्तों से मोह स्वाभाविक है, किन्तु मृत्यु के रूप में उनकी समाप्ति पर शोक में डूबने के स्थान पर उनकी स्मृति में रचनात्मक कर्म करने चाहिए ताकि कुछ बेहतर करने के उल्लास से वे अधिक याद आएं।

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi

  • अर्जुन के तीर हुए निष्प्रभावी, Arjuna arrow made ineffective

    महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से परमवीर सुधन्वा अर्जुन से युद्ध कर रहे थे।
    हार-जीत का फैसला न होते देख यह तय किया गया कि तीन बाणों में युद्ध का निर्णय होगा, या तो किसी का वध होगा, अन्यथा दोनों पक्ष युद्ध बंद कर पराजय स्वीकार करेंगे।
    कृष्ण पांडवों की ओर थे, अत: उन्होंने अर्जुन की सहायता के लिए हाथ में जल लेकर संकल्प किया कि गोवर्धन उठाने और घप्रज की रक्षा करने का पुण्य मैं अर्जुन के बाण के साथ संयोजित करता हूं।
    इससे अर्जुन का आग्नेयास्त्र और भी सशक्त हो गया।
    आग्नेयास्त्र का सामना करने के लिए सुधन्वा ने संकल्प लिया कि एक पत्ती ब्रत पालने का मेरा पुण्य मेरे अस्त्र के साथ जुडे। दोनों बाण आकाश में टकराए।
    सुधन्वा के बाण ने अर्जुन का अस्त्र काट दिया।
    दूसरी बार अर्जुन को अपना पुण्य प्रदान करते हुए कृष्ण बोले कि गज को बचाने तथा द्रोपदी की लाज बचाने का पुण्य मैं अर्जुन के बाण के साथ जोड़ता हूं।
    सुधन्वा ने उज्जवल चरित्र का पुण्य अपने अस्त्र में जोड़ा। अर्जुन का बाण पुनः कट गया।
    तीसरी बार कृष्ण ने बार-बार अवतार लेकर धरती का भार उतारने का पुण्य अर्जुन के बाण के साथ जोडा।
    तो सुधन्वा ने संकल्प किया कि मेरे परमार्थ का पुण्य मेरे अस्त्र में जुडे। सुधन्वा का बाण फिर विजयी हुआ।
    अर्जुन ने पराजय मानी और कृष्ण ने सुधन्वा से कहा- 'हे सद्‌गृहस्थ! तुमने सिद्ध कर दिया कि कर्तव्यपरायण गृहस्थ किसी तपस्वी से कम नहीं होता।
    ' वस्तुतः भाग्यवश जो भी भूमिका मिले, उसका ईमानदारी से निर्वाह अपार पुण्यों का सृजन करता है।

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi

  • जादुई संतरा, Magic orange

    एक समय की बात है, एक गांव में सोनू नाम का एक छोटा सा लड़का रहता था। उसे घूमने फिरने का और नई चीजें जानने का बड़ा शौक था। एक दिन जब वह जंगल में घूम रहा था, तो उसे एक संतरे का जादुई पेड़ दिखाई देता है।
    वह पेड़ बाकी पेड़ों से बिल्कुल अलग दिख रहा था। जब सोनू एक संतरे को चखता है, तो उसे अपने अंदर भरपूर ऊर्जा महसूस होती है और उसका दिमाग पहले से बहुत तेज हो जाता है।
    सोनू उस जादुई संतरे का इस्तेमाल अपने खुद के फायदे के लिए करने लगा। उसे हर चीज पहले ही पता चल जाता और हर कठिन से कठिन प्रश्नों को हल कर लेता था। दूर-दूर से लोग उसकी इस प्रतिभा को देखने आते थे।
    जैसे-जैसे समय बीतता गया सोनू की शक्तियां कम होती गई। पेड़ पर संतरों की चमक भी कम हो रही थी और धीरे-धीरे उनकी भी शक्तियां खत्म होने लगी थी।
    जल्दी ही सोनू को यह एहसास होता है कि, वह अपनी खुद की प्रतिभा को नजरअंदाज करते हुए जादुई संतरे की शक्ति पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गया है।
    सोनू को अपनी गलतियों का एहसास होता है और वह जादुई संतरे के पेड़ के पास वापस जाता है। वह अपने लालची स्वभाव के लिए माफी मांगता है और वादा करता है कि अपनी काबिलियत का उपयोग वह अच्छे कामों के लिए करेगा। फिर अचानक से पेड़ के बचे हुए संतरों में वापस चमक आ जाती है।

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi
    उस दिन के बाद से सोनू यह समझ गया कि असली शक्ति हमारे अंदर ही होती है और हम अपनी खुद की कौशल और प्रतिभा का इस्तेमाल करके ही दुनिया में बदलाव और खुशी ला सकते हैं।
    “हमें सफलता प्राप्त करने के लिए किसी जादू या शक्ति के बाहरी स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। बल्कि हमें अपनी क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए और उनका उपयोग करके दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए।”

  • झूठ जब सच जैसा लगे, धोखा न खाएं, Lie when look like true, don't be deceived

    एक समय की बात है एक गाँव में एक ब्राह्मण रहता था।
    एक बार किसी परिवर ने उसे अपने यहा ब्राह्मण भोज पर बुलाया और दान में उसे एक बकरा दिया।
    बकरे को पाकर वो बड़ा खुश हुआ और खुशी से अपने घर जाने लगा। रास्ता लम्बा और सुनसान था। रास्ते में ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीन ठग के मन में उस बकरे को चुराने का विचार आया। तीनों ने उसे हथियाने की योजना बना ली। तीनों अलग-अलग हो गए।
    ब्राह्मण के पास से गुजरते हुए एक ठग ने उनसे कहा: क्या पंडितजी एक ब्राह्मण होकर एक कुत्ते को अपने कंधो पर उठा रखा है आपने!
    ब्राह्मण ने कहा: अंधे हो क्या? कुछ भी अनाप-शनाप बोल रहे हो? तुम्हें दिखाए नहीं देता ये कुत्ता नहीं बकरा है। इस पर ठग ने कहा: मेरे काम था आपको बताना, आगे आपकी मर्जी!
    थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला।
    उसने ब्राह्मण से कहा: पंडितजी क्या आप नहीं जानते उच्च कुल के लोगों को अपने कंधो पर कुत्ता नहीं लादना चाहिए। ब्राह्मण ने उसे भी झिड़का दिया और आगे बढ़ गया।
    थोड़ी और दूर आगे जाने के बाद ब्राह्मण को तीसरा ठग मिला और उसने पूछा: पंडितजी इस कुत्ते को पीठ पर लाद के जाने का क्या कारण है ?
    इस बार ब्राह्मण के मन में शक आया कि कही उसकी ही आंखे तो धोखा नहीं खा रही है, इतने लोग तो झूट नहीं बोल सकते। और उसने रास्ते में थोड़ा आगे जाकर बकरे को अपने कंधे से उतार दिया और अपने घर की ओर आगे बड़ गया।
    उसके आगे जाते ही तीनों ठग बकरे को वहां से उठा ले गए और उसे मार कर उसकी दावत खाई। तो दोस्तों इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कई बार झूट को भी मेजोरिटी में बोलने पर वह सच जैसा मालूम पडता है और लोग धोखे का शिकार हो जाते है।

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi

  • लालची बहू, Greedy daughter-in-law

    एक समय की बात है एक छोटे से गांव में राम और सीता नाम के कपल रहते थे। उनका एक अर्जुन नाम का बेटा था, जिसकी शादी रिया नाम की लड़की से हुई थी।
    राम और सीता कड़ी मेहनत करते थे और अपने बुढ़ापे के लिए पैसे बचा थे। रिया बहुत लालची लड़की थी और हमेशा अपने लिए और चीजें चाहती थी।
    जैसे-जैसे साल बीतता गया, रिया का लालच और बढ़ता गया। वह अपने पास रखे चीजों से कभी संतुष्ट नहीं रहती थी। वह हमेशा अपने सास-ससुर से महंगे तोहफे मांगा करती थी और उनके बचाये हुए पैसों में से भी कुछ हिस्सा अपने लिए मांगती थी।
    राम और सीता बहुत ही अच्छे पेरेंट्स थे, इसलिए उसकी सारी जरूरतों को पूरा करते थे ताकि परिवार में शांति बनी रहे। वह अपने पति अर्जुन के ऊपर भी दबाव डालती थी, कि वह अपने मां बाप से पैसे और संपत्ति मांगे। वह बहुत ज्यादा संपत्ति कट्ठा करना चाहती थी, बिना किसी मेहनत के।
    एक दिन राम और सीता ने यह फैसला लिया कि वह रिया को सबक सिखाएंगे। वह उसे बुलाते हैं और बोलते हैं की “बेटा हमें तुमसे कुछ जरूरी बातें करनी है। हमने यह फैसला लिया है कि हम अपनी जायदाद का कुछ हिस्सा अपने बच्चों में बाटेंगे और उसका कुछ हिस्सा तुम्हे भी देना चाहते हैं.” रिया ख़ुशी से झूम उठती है क्योंकि वह हमेशा से यही चाहती थी।
    लेकिन राम और सीता के मन में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने एक पत्थरों से भरा हुआ बैग उसे दे दिया और बोला, बेटी यह तुम्हारे हिस्से की संपत्ति है।
    रिया उस बैग को देखकर गुस्सा हो गई। उसने उस पत्थर से भरे हुए बैग को जमीन पर फेंका और जोर से चिल्लाते हुए बोली कि, ” मेरी मजाक उड़ाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। मुझे पैसे चाहिए, ये पत्थर नहीं। ”
    राम और सीता ने शांत तरीके से उसे समझाया और बोले “रिया, सच्ची संपत्ति सिर्फ पैसे और चीजों के बारे में नहीं है। यह प्यार, दया और जो कुछ भी तुम्हारे पास है, उसके लिए आभारी होने के बारे में है। हमने हमेशा तुमसे प्यार किया है और तुम्हारी देखभाल की है, और यह पैसों से भी अधिक कीमती है.”
    रिया को एहसास हुआ कि वह लालच में कितनी अंधी हो गई थी। उसको अपने किये गए बर्ताव के लिए पछतावा होने लगता है। उसने अपने सास और ससुर से माफ़ी मांगी और अपने तरीके बदलने का वादा किया।
    उस दिन के बाद से उसमें बदलाव आया और वह एक अच्छी बहू बन गई। रिया के बदलाव की बात पूरे गाँव में फैल गई और सभी ने एक बेहतर इंसान बनने के लिए उसकी प्रशंसा की।
    रिया अपने परिवार का ख्याल रखते हुए और उनके बीच मिले प्यार के लिए आभारी होकर हमेशा खुश रहने लगी।
    “सच्चा धन प्यार, दया और जो हमारे पास है उसके लिए आभारी होने से आता है, न कि हमेशा और अधिक चीजों की चाह रखने से।”

    Moral Stories In Hindi,Short Moral Stories In Hindi,Small Moral Stories In Hindi

  • लालच करना बुरी बात है, Greed is bad thing to do

    हम सभी लालची राजा मिदास की कहानी जानते हैं। उसके पास सोने की कमी नहीं थी, लेकिन सोना जितना बढ़ता वह और अधिक सोना चाहता।
    उसने सोने को खजाने में जमकर लिया था और हर रोज उसे गिना करता था।
    एक दिन जब वह सोना गिन रहा था तो एक अजनबी कहीं से आया और बोला, तुम मुझसे ऐसा कोई वरदान मांग सकते हो जो तुम्हें दुनिया में सबसे ज्यादा ख़ुशी दे।
    राजा खुश हुआ और उसने कहा मैं चाहता हूँ कि जिस चीज को छुऊँ, वह सोना बन जाए। अजनबी ने राजा से पूछा क्या तुम सचमुच यही चाहते हो ?
    राजा ने कहा हाँ, तो अजनबी बोला कल सूरज की पहली किरण के साथ ही तुम्हें किसी चीज को छूकर सोना बना देने की ताकत मिल जाएगी। राजा ने सोचा कि वह सपना देख होगा, यह सच नहीं हो सकता। अगले दिन जब राजा नींद से उठा तो उसने अपना पलंग छुआ और वह सोना बन गया। वह वरदान सच था।
    राजा ने जिस चीज को छुआ, वह सोना बन गई। उन्होंने खिड़की के बाहर देखा और अपनी नन्हीं बच्ची को खेलते पाया। उसने अपनी बिटिया को यह अजूबा दिखाना चाहा और सोचा कि वह खुश होगी। लेकिन बगीचे में जाने से पहले उसने एक किताब पढ़ने की सोची। उसने जैसे ही उसे छुआ, वह सोने की बन गई।
    वह किताब को पढ़ न सका। फिर वह नाश्ता करने बैठा, जैसे ही उसने फलों और पानी के गिलास को छुआ, वे भी सोने के बन गए। उसकी भूख बढ़ने लगी और वह खुद से बोला। मैं सोने को खा और पी नहीं सकता।
    ठीक उसी समय उसकी बेटी दौड़ती हुई वहाँ आई और उसने उसे बाँहों में भर लिया। वह सोने की मूर्ति बन गई। अब राजा के चेहरे से खुशी गायब हो गई।
    राजा सर पकड़ कर रोने लगा। वह वरदान देने वाली अजनबी फिर आया और उसने राजा से पूछा कि क्या वह हर चीज को सोना बना देने की अपनी ताकत से खुश है ?
    राजा ने बताया की वह दुनिया के सबसे दुखी इंसान है।
    राजा ने उसे सारी बात बताई। अजनबी ने पूछा, अब तुम क्या पसंद करोगे, अपना भोजन और प्यारी बिटिया या सोने के ढेर और बिटिया की सोने की मूर्ति। राजा ने गिड़गिड़ाकर माफ़ी मांगी और कहा, मैं अपना सारा सोना छोड़ दूंगा मेहरबानी कर के मेरी बेटी मुझे लौटा दो क्योंकि उसके बिना मेरी हर चीज मूल्यहीन हो गई है।
    अजनबी ने राजा से कहा तुम पहले से बुद्धिमान हो गए हो और उसने अपने वरदान को वापिस ले लिया। राजा को अपनी बेटी वापस फिर से मिल गई और उसे एक ऐसी सीख मिली जिसे वह जिंदगी-भर नहीं भुला सका।

    moral stories in hindi