चीजों का सामना करते समय ध्यान से सोचें , Think carefully while facing things

यह गांव में एक व्यापारी रहता था, उसकी एक खूबसूरत बेटी थी। एक बार उसे व्यापारी पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया था और जिस आदमी से उसे व्यापारी ने कर्ज लिया था, वो उसी गांव का था, और बहुत ही घटिया आदमी था। तो ब्यापारी उस आदमी का कर्ज चुका नहीं पा रहा था,
तो उस आदमी ने सारे गांव वालों को जमा किया, और व्यापारी के घर पर जाकर व्यापारी से कहा कि ” अगर तुम मेरा कर्जा दे नहीं पा रहे हो तो अपनी बेटी की शादी मुझ से कर दो। ” यह सुनने के बाद भी वह व्यापारी चुप रह। क्योंकी वो मजबूर था!
और ये सारी बातें, घर में बैठी उस व्यापारी की बेटी सुन रही थी। थोड़ी देर के बाद उस आदमी ने गांव वालों और व्यापारी से कहा की ” ठीक है! में एक थैली में सफेद और एक काला पत्थर डालूंगा, और इसकी बेटी को थैली में से, कोई एक पत्थर निकालना पड़ेगा।
अगर सफेद पत्थर निकला तो मैं कर्ज भी माफ कर दूंगा और इसकी बेटी से शादी भी नहीं करूंगा। लेकिन अगर काला पत्थर निकला, तो कर्जा तो मैं माफ कर दूंगा, मगर इसको अपनी बेटी से मेरी शादी करवानी पड़ेगी।
व्यापारी की लड़की इस बात के लिए राजी हो गई और सारे गांव वाली भी। उस आदमी ने थैली के अंदर सबके सामने दो पत्थर डालें। लेकिन बड़े ही चालाकी से उस आदमी ने दोनों ही पत्थर उस थैली में काले डाले थे।
और यह व्यापारी की बेटी को दिख गया था के थैली के अंदर दोनों ही पत्थर काले थे। अब वह लड़की सोंच में पड़ गई थी, कि मैं जो भी पत्थर निकालूंगी वहकाले ही पत्थर होंगे। और अगर काला पत्थर निकला, तो कर्जा माफ हो जाएगा, लेकिन मुझे उससे शादी करनी पड़ेगी।
और अगर मैंने सारे गांव वालों को यह बता दी, कि इस आदमी ने थैली में दोनों ही पत्थर काले डाले हैं, तो कर्ज़ा भी माफ नहीं होगा और यह आदमी, आज नहीं तो कल मेरे बाबा से बदला जरूर लेगा।
लड़की यह सोच ही रही थी की लड़की को तभी थैली से पत्थर निकालने को कहा गया। लड़की ने थैली में हाथ डाला और एक पत्थर बाहर निकाला, और बिना किसी को बताएं उस पत्थर को जमीन पर गिरा दिया।
और जमीन पर गिरने के बाद, वह पत्थर दूसरे पत्थरों में मिल गया। तभी लड़की ने सबसे कहा कि ” अब कैसे पता चलेगा, कि मैंने जो पत्थर निकला था वह सफेद था या काला था? “
लड़की ने कहा थैली में जो दूसरा पत्थर है, उसे देखो! अगर थैली में सफेद पत्थर है, तो मेने काला पत्थर निकला था। और अगर थैली में काला पत्थर है, तो मेने सफेद पत्थर निकला था।
और थैली में तो सिर्फ काले ही पत्थर थे। और सभी गांव वालों ने यह समझ लिया, की लड़की ने जो पत्थर निकला था वह सफेद था। इसलिए व्यापारी का कर्ज भी माफ हो गया और उसकी बेटी को, उस आदमी से, शादी भी नहीं करनी पड़ी।
जिंदगी में इंसान कई बार मजबूर हो जाता है, और उसके सामने जो हालत होती है, उसे उसी के हिसाब से चलना पड़ता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: जब भी आप मजबूर हो जाओ और मजबूरी में आपका कोई फायदा उठाना चाहता हो, दो इनोसेंट मत बनो, बल्कि अपने दिमाग का इस्तेमाल करो। जितने इनोसेंट बनने की कोशिश करोगे, लोग उतना ज्यादा आपको चीट करेंगे।
अब इसका मतलब यह नहीं कि आप लोगों को गालियां देना ही शुरू कर दो, बल्कि इसका मतलब यह है कि आप समंदर की तरह बनो। मतलब यह है कि आप समंदर की तरह खामोश रहो, लेकिन उसकी गहराई की तरह अपने दिमाग में नॉलेज रखो।

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