Love Story In Hindi

  • आर्यन और श्रेया की प्रेम कहानी, Love story of Aryan and shreya

    वो एक लड़का था, जिसका नाम आर्यन था, और एक लड़की जिसका नाम श्रेया था।
    वे दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छे दोस्त थे।
    धीरे-धीरे उनकी दोस्ती में दिल के क़रीब एहसासों ने जगह बना ली।
    एक दिन, एक पार्टी में, श्रेया एक अनहोनी की घटना का शिकार हो गई और आर्यन उसके साथ था।
    उस दिन से, उनकी दोस्ती एक प्यार भरी कहानी में बदल गई।
    दोनों एक-दूसरे के समर्थन में खड़े रहने लगे और उनके बीच एक ख़ास बंधन हो गया।
    लेकिन ख़ुशी की एक समय की कहानी थी, क्योंकि जिंदगी कभी-कभी अपने रंग बदल देती है।
    एक दिन, एक घातक रोग श्रेया को पकड़ लिया और डॉक्टर ने उसे बताया कि
    उसका समय कम हो गया है।
    आर्यन ने दिल के दर्द के साथ उसे समर्थन दिया, लेकिन श्रेया के ह्रदय में एक अजब भावना थी - वह चाहती थी कि वह अपने प्यार को खो दे जिससे वह इस दर्द से मुकाबला कर सके।
    उसकी दिल की ये अभिलाषा आर्यन को जानने में थी, और वह श्रेया के साथ जितना भी समय बचा था,
    उसे उसकी प्यार भरी ख़्वाहिश पूरी करने का फैसला किया।
    वे एक बार फिर साथ आए, ख़ुद को इस प्यार में खो दिया, और अपने दिल की बातें आपसी शर्तों के बिना कह दी।
    श्रेया की आंखों में ख़ुशी और दर्द दोनों दिख रहे थे, क्योंकि उसे पता था कि उसके प्यार की अंतिम ख़्वाहिश पूरी हो रही थी।
    उनकी ख़ुशियों और दुखों से भरी एक साथ गुजरी रात के बाद, श्रेया ने अपनी आंखें बंद कर ली।
    उसके अंतिम समय में, उसका अंतिम मुस्कान आर्यन को थे।
    उसके प्रियजनों ने देखा कि वह ख़ुश थी, क्योंकि उसने अपने प्यार को पाने का एक अद्भुत सफ़र पूरा कर लिया था।
    आर्यन अब अकेले थे, लेकिन उसके दिल में श्रेया के प्यार की यादें हमेशा जीवित रहेंगी।
    उनकी प्रेम कहानी दर्द भरी थी, लेकिन यह सिखाती थी कि प्यार असली जीवन है, जो समय के साथ भी आजीवन बाकी रहता है।
    आशीर्वाद गाँव में एक सुंदरी लड़की थी, जिनका नाम मीरा था।
    वह गाँव के पास की सुंदर पहाड़ियों में रहती थी।
    एक दिन, उसने पहाड़ी छोड़कर नदी के किनारे एक छोटे से गाँव में घुमने का फैसला किया।
    वहाँ पहुंचकर, उसने एक युवक से मिली, जिनका नाम आर्जुन था।
    उनकी पहली मुलाकात ही कुछ खास सी थी, जैसे कि वे पहले से ही एक-दूसरे को जानते थे।
    वे एक-दूसरे के साथ बिताए गए समय में खो गए और एक-दूसरे की कहानियों को सुनने लगे।
    दिन बितते गए और मीरा और आर्जुन के बीच की मुलाकातें बढ़ती गईं।
    वे एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे और उनकी मिलनसर बातों में मिठास आ गई।
    एक दिन, जब वे नदी के किनारे घूम रहे थे, आर्जुन ने अपने दिल की बात कह दी कि वह मीरा से प्यार करता है।
    मीरा थोड़ी सी हकली और आश्चर्यचकित थी, लेकिन फिर उसने भी अपनी भावनाओं को साझा किया कि वह भी
    आर्जुन से मोहब्बत करती है।
    उनकी प्यार भरी कहानी शुरू हो गई, और उन्होंने एक-दूसरे के साथ अपनी जिंदगी की सबसे ख़ूबसूरत यात्रा शुरू की।
    उनकी प्यार और समर्पण भरी कहानी गाँव के लोगों के दिलों में बस गई, और वे सबको प्यार की मिसाल दिखाने लगे।

    Love Story In Hindi,Romantic Story In Hindi

  • तेरे बिन, Your bin

    क्या ऐसा हो सकता है कोई इंसान दुबारा किसी से प्यार कर सकता है ?
    दोबारा किसी से मोहब्बत हो सकती है ?
    इसका जवाब शायद किसी के लिए हाँ होगा तो किसी के लिये ना !
    यह एक कहानी है ये निशा नाम की लड़की की जो अमर नाम क लड़के से बहुत प्यार करती है ।
    दोनो कॉलेज के वक़्त से एक दूसरे एक दोस्त थे निशा और अमर एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समजते थी । दोनो एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त थे ।
    निशा और अमर हर मुश्किल वक़्त मैं एक दूसरे का साथ देते थी । ओर ख़ुशी के मौके पर भी वो एक दूसरे के साथ होते थी
    जब कभी अमर को कोई मुश्किल होती तो निशा हर हाल मैं उसका साथ देती थी ।
    इसी तरह जब कभी निशा को मुश्किल का सामना करता पड़ता तब अमर उसके साथ होता और इसी तरह ये दोनों एक दूसरे का साथ निभाते गए और दोनों के बीच मैं मोहब्बत हो गायी।
    वक्त के साथ साथ दोनों की मोहोब्बत काफी गेहरी होती गायी ।
    कुछ समय बाद दोनों की कॉलेज की पढाई ख़तम होगयी और अमर और निशा दोनों ने ही अछि जॉब ज्वाइन कर ली और इनकी ज़िन्दगी सही से ख़ुशी से गुज़र रही थी ।
    पहिर एक दिन निशा ने अमर से कहा की "अमर अब हमें शादी कर लेनी चहिये" ।
    अमर ने ये बात सुनकर कहा की "थिक है निशा मैं आज ही अपने घरवालों से बात करता हूँ और तुम भी अपने घरवालों से बात करलो" दोनों ने अपने घरवालों से बात की दोनों के परिवार वाले एक दूसरे से मिले दोनों के परिवारवालों को ये रिश्ता पसंद आया और दोनों ने हाँ कह दी ।
    इस रिश्ते के लिए कुछ समय बाद का ही दोनों की सगाई का महूरत निकला और कुछ ही दिनों में दोनों की सगाई काफी धूमधाम से की गयी । कुछ दिनों बाद अमर ने अपनी कंपनी स्टार्ट की जिसमे निशा भी साथ थी दोनों एक साथ अपनी नयी कंपनी को अछेसे चलने लगे कुछ ही समय मैं दोनों की कंपनी ने ाचा बिज़नेस किया ाचा प्रॉफिट किया एक दिन अमर को बिज़नेस के सिलसिले मैं किसी दूसरे शहर जाना पड़ा वहां उसकी मुलाकात प्रेम से होती है दोनों बिज़नेस मीटिंग अटेंड करने के बाद बिज़नेस पार्टी अटेंड करते हैं ।
    श पार्टी मैं अमर और प्रेम की अछि दोस्ती होजाती है उस वक़्त दोनों एक दूसरे को अपनी लाइफ की बातें शेयर करते हैं और दोनों हमेशा अपनी दोस्ती निभाए रखने का वादा करते है । जब अमर अपनी गाडी मैं घर जा रहा था तब रास्ते मैं उसका एक्सीडेंट प्रेम की गाडी से होजाता है प्रेम ये हादसा बर्दाश्त नै कर पाया ।
    जाब निशा को और अमर के घर वालों को ये बात पता चलती है की अमर का एक्सीडेंट होगया है और वह इस दुनिया मैं नहीं रहा तो वो लोग ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सक पर निशा को ये नहीं पता था की अमर का एक्सीडेंट प्रेम के वजह से हुआ ।
    परेम से उनकी ये हालत देखी नहीं गयी इसलिए वह उनकी मदत करने अमर का दोस्त नहीं बल्कि अमर के द्वारा किया गया अप्पोइंटेड एम्प्लोयी जो उनकी कंपनी मैं जॉब ज्वाइन करने वाला था ।
    बांके गया वाहन पहुँच कर उसने निशा की हेल्प की अमर और निशा की कंपनी को आगे बढ़ने मैं प्रेम ने अमर के घरवालों को भी संभाला परेम अमर के घरवालों को अपना परिवार बना लिया अमर की छोटी बहन प्रेम को अपना भाई मानने लगी ।
    कमार के पापा अमर की डेथ के बाद परलयज़ेड होचुके थे प्रेम ने उनका भी ख्याल रखा अमर की दादी निशा को बेटी मानती थी वह हर वक़्त निशा से कहती की वो कहीं और शादी करले पर निशा उन्हें अपना परिवार मंती थी उसने कभी कहीं और शाडू करने का नहीं सोचा वो अब भी अमर से प्यार करती थी । परेम धीरे धीरे करके उनके परिवार का हिस्सा बन चूका था धीरे धीरे प्रेम निशा से प्यार करने लगा त
    निशा भी प्रेम का ये बेहेवियर अमर के परिवार और उसकी कंपनी की तरफ देखके वो भी उससे पसंद करने लगी थी ।
    पर प्रेम ने कभी उससे अपनी दिल की बात नहीं कही क्यूंकि उससे डर था की जिस दिन सच्चाई सबके सामने आएगी तो सब उससे नफरत करेंगे । लेकिन अमर की दादी यही चाहती थी की निशा की शादी होजाये प्रेम से ककी प्रेम ही ह जो उससे समाज सकता है और प्यार भी करता है ।
    ये सब देखकर प्रेम ने सारी सच्चाई बतादि सबको की कैसे अनजाने मैं उससे एक्सीडेंट होगया और अमर की डेथ होगायी ।
    ये सच सुनने के बाद सबको काफी दुःख हुआ और गुस्सा भी आया प्रेम पर निशा को भी गुस्सा आया प्रेम पर और उसने शादी के लिए इंकार कर दिया ।
    इस सब के बाद प्रेम वापस जब अपने घर जा रहा था तब उसका एक्सीडेंट होगया प्रेम को ऐसे हॉस्पिटल मैं देख के अमर के घरवालों को ऐसा लगा जैसे वो अपना बीटा दुबारा खो रहे है ।
    निशा को तब अपने प्यार का एहसास हुआ की वो प्रेम से प्यार करती है और उससे यह एहसास होता है की कहीं न कहीं अमर भज यही चाहता होगा की उसके जाने के बाद प्रेम से ही वो अपना रिश्ता जोड़ ले ।
    पहिर निशा को प्रेम के बैग से एक डायरी मिलती है जिसमें प्रेम ने लिखा होता है की वो निशा से कितना प्यार करता ह पर अपनी अनजाने मैं की गयी गलती से डरता है उसने सब कुछ उस डायरी मैं लिखा होता है अपनी फीलिंग्स अमर की दोस्ती परिवार का प्यार ये सब पढ़कर निशा को एहसास होता है की प्रेम भी उससे प्यार करता है और वो भगवन से प्रार्थना करती है की प्रेम बच जाए ।
    ओर भगवन ने उसकी सुनली कुछ देर मैं डॉक्टर्स ाके बताते हैं की प्रेम अब सुरक्षित है और प्रेम के ठीक होने के बाद प्रेम और निशा दोनों शादी कर लेते हैं और ख़ुशी ख़ुशी अपनी ज़िन्दगी बिताते हैं ।
    और निशा जिसको लगता था की वो अब किसीसे प्यार नहीं कर पाएगी ये मान लेती है की दुबारा किसी और से सच्चा प्यार किया जा सकता है ।

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  • पति-पत्नी का सच्चा प्यार, Real love of a husband and wife

    एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की।
    शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी।
    वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसूरती की हमेशा तारीफ़ किया करता था।
    लेकिन कुछ महीनों के बाद लड़की चर्मरोग से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी।
    खुद को इस तरह देख उसके मन में डर समाने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई, तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी।
    इस बीच एकदिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा।
    काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, उसका हो गया।
    में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी।
    लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही।
    समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी।
    वह बदसूरत हो गई, लेकिन अंधे पति को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था।
    इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
    वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा।
    एकदिन उस लड़की की मौत हो गई।
    पति अब अकेला हो गया था। वह बहुत दु:खी था। वह उस शहर को छोड़कर जाना चाहता था।
    उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़कर जाने लगा।
    तभी एक आदमी ने पीछे से उसे पुकारा और पास आकर कहा,
    “अब तुम बिना सहारे के अकेले कैसे चल पाओगे?
    इतने साल तो तुम्हारी पत्नि तुम्हारी मदद किया करती थी।
    पति ने जवाब दिया, दोस्त! मैं अंधा नहीं हूँ! मैं बस अंधा होने का नाटक कर रहा था।
    क्योंकि यदि मेरी पत्नि को पता चल जाता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूँ, तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता।
    इसलिए मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया।
    वह बहुत अच्छी पत्नि थी। मैं बस उसे खुश रखना चाहता था।
    खुश रहने के लिए हमें भी एक दूसरे की कमियो के प्रति आखे बंद कर लेनी चाहिए..
    और उन कमियो को नजरन्दाज कर देना चाहिए...।

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  • निशांत और हेमा की प्रेम कहानी, The love story of nishant and hema

    यह कहानी है एक शहरी क्षेत्र की, जहां निशांत और हेमा की है जो अलग-अलग दुनियाओं से थे।
    जिनके सपने और रहन-सहन एक दूसरे से बहुत अलग थे।
    निशांत, एक रोमांटिक और सपने में खोए हमेशा खोये रहने वाले युवक था।
    वह मेहनत काम करता लेकिन सपने बड़े-बड़े देखता रहता वही हेमा,
    एक स्वतंत्र और साहसी लड़की जिसका सपना था अपनी पेशेवर ज़िन्दगी में कुछ अद्भुत करने का।
    वह बहुत मेहनती थी।
    एक दिन, निशांत और हेमा की बातचीत का आरंभ हुआ जब वे एक सामाजिक कार्यक्रम में मिले।
    वहां, निशांत ने हेमा के सपनों की बातें सुनीं और हेमा ने निशांत की प्रेरणा को देखा।
    उनकी बातचीतों में, एक दूसरे के सपनों का समर्थन और समझदारी बढ़ती गई।
    दोनों को एक-दूसरे से बात करना अच्छा लगा।
    फिर वो दोनों एक दूसरे का नंबर शेयर किया और दोस्ती का हाथ बढ़ाया दोनों।
    धीरे-धीरे, निशांत और हेमा एक दूसरे के साथ अधिक समय बिताने लगे और मिलने लगे।
    काम में भी एक दूसरे का हाथ बढ़ाने लगे और उनकी दोस्ती कब प्यार में बदला इस बात का अहसास नहीं उनकों ।
    उनका साथ एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने की ऊर्जा पैदा करता गया।
    बहुत सपने उनलोग ने पूरा किया।
    दोनों के परिवार भी उनके दोस्ती से खुश थे।
    वो लोग चाहते थे की दोनों के रिश्ते शादी में बदले लेकिन हेमा और निशांत आगे बढ़ ही नहीं रहे थे।
    ऐसे ही कुछ दिन बीत गया।
    फिर एक दिन निशांत के माँ ने उसे समझाया की हेमा अच्छी लड़की है तू उसे पसंद करते हो और प्यार भी करते हो तो उसे बोल क्यों नहीं देते।
    तब निशांत ने कहाँ की हेमा मना कर दी तो।
    तब माँ बोली की एक बार बात तो करे वो। फिर एक
    एक दिन, निशांत ने अपनी भावनाओं को हेमा के सामने रख दिया और हेमा ने भी अपनी भावनाओं को
    साझा किया वो भी उस से प्यार करती थी ।
    उनका प्यार बढ़ता गया और उन्होंने एक दूसरे से वादा किया कि वे एक-दूसरे के साथ हमेशा रहेंगे।Love Story In Hindi,Romantic Story In Hindi

  • दो पल क लिए मिलना,और प्यार हो जाना, Have two moments together, and fall in love

    क्या है ये दो पल का प्यार ??
    क्या हो सकता है किसी को दो पल में किसी से प्यार? नहीं जानते? चलिए हम बताते हैं आपको...
    फिर आप खुद ही अंदाज़ लगा लीजिएगा कि किसी को दो पल के मुलाकत में प्यार होता है या नहीं।
    ये प्रेम कहानी बिहार मे बसी एक छोटा सा गांव महरैल की है...जितनी प्यारी ये गाँव है..उतनी ही प्यारे यहाँ के रहने वाले लोग है ।
    यहाँ के लोग अपने जरूरत की समान लाने, गाँव से थोड़ा दूर बसी एक बाजार जाते है।
    एक दिन महरैल गाँव के एक लड़का जिसका नाम अभिषेक है ।
    वो भी रोज जाता था। एक समय आया की वो रोज सज-धज के उस बाजार जाने लगा...
    अब आप पूछोगे....सज धज के क्यों जाने लगा वो ???
    तो बात ये थी कि एक दिन जब वो बाजार से गुजर रहा था तो उसे एक लड़की दिखी...
    अभिषेक उस लड़की से अपनी नजर हटा ही नही रहे थे....और फिर जब कुछ देर तक
    नजर नहीं हटाए तो सामने से लड़की की भी नजर पड़ी उस लड़के पे...फिर क्या....दोनों एक दूसरे को देखते रहे...अब ये दो पल की
    यू इस तरह देखा-देखि मैं ही शहजादे को प्यार हो गया....फिर क्या उस दिन के बाद रोज अभिषेक बाजार सज-धज के जाने लगे...और फिर वो इधर उधर
    देखे जा रहा था..तभी दूसरी और से एक लड़की गुजर रही थी ..और उस लड़के क चेहरे पे मुस्कुराहट बया कर दी कि अभिषेक का दिल
    इन्ही का इंतज़ार कर रहा था...वो लड़की अपने मम्मी के साथ आती थी..हाथ मे थेली थी..जिसे देख के लग रहा था कि वो भी सामान लेने आयी
    है...वो लड़का उसे बस देखे जा रहा था..कुछ देर में वो चले जाती है।
    ऐसे ही वो रोज बाजार आती और लड़का उस के आने से पहले
    वहा आ जाता..और जब तक लड़की बाजार मे रहती वो उसे ही देखते रहता बस..
    और फिर उस के जाने के बाद वो भी चला जाता....वो रोज कोशिश करता बात
    करने की लेकिन वो जैसे ही बात करने जाता कि वो चल देती थी या सामने कोई आ जाता था।
    वो दो पल का वक़्त मैं वो लड़का बस कोशिश
    करता कि कैसे वो अपने दिल की बात उस लड़की से कहे...फिर एक दिन किस्मत ने भी उसका साथ दे दिया और एक दिन वो अकेली ही बाजार आयी बस
    फिर क्या वो लड़का उस लड़की के पास गया..और उसका का करिश्मा देखो..दोनों एक साथ बोल पड़े कि...मुझे कुछ कहना है
    क्या पल था वो...फिर क्या...लड़का डर गया..उसे लगा कहीं इसे बुरा न लग गया हो की मैं इसे रोज यहाँ देखता रहता हूँ या कोई और
    बात..वो डर के उस लड़की के तरफ देखा..और धीमी आवाज में उसे कहा ..बोलो क्या हुआ....लड़की फिर कहती है तुम बोलो कि क्या कहना है ?
    लड़का डर रहा था कुछ कहने से अब और उसने पहले उसे ही कह दिया की तुम बोलो पहले
    फिर अचानक से दोनों एक ही साथ अपनी-अपनी दिल की बाते बोल दी...लड़का सुनते ही अपना होश ही खो दिया
    क्योंकि उसे कभी लगा ही नही था की...लड़की भी उससे प्यार करती है।
    कुदरत का खेल तो देखो...लड़की भी रोज इसीलिए आती थी कि..वो रोज उस लड़के को देख सके...प्यार दोनों मैं पहले दिन के एक पल से ही
    हो गया था। लेकिन एक दूसरे को बताने का मौका नहीं मिल रहा था।
    फिर क्या....रोज यही आने लगे एक दूसरे से मिलने लगे।
    कुछ समय बाद दोनों ने अपने-अपने घर में बात की और दोनों ने शादी कर ली.....
    और इस तरह से वो दोनों हमेशा के लिए साथ हो गए और ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।
    इससे ये पता चलता है कि प्यार करने में साल या महीना नहीं लग जाता है प्यार तो वो खुसी है, वो एहसास है, वो विश्वास है जो एक पल में और बस एक नजर में ही किसी को किसी से हो जाता है।

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  • अनन्त संबंधों की नींव, Foundation of everlasting relationships

    एक समय की बात है, भारत में एक छोटे से गांव में राज और मीरा नामक दो पड़ोसियों का निवास था। वे बचपन से ही एक-दूसरे को जानते थे और हमेशा सबसे अच्छे दोस्त रहे थे। जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, उनका रिश्ता और भी मजबूत होता गया और वे एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे।
    जब वे दसवीं कक्षा में आए, तब राज को एहसास होने लगा कि मीरा के प्रति उसके भावनाएँ दोस्ती से आगे बढ़ गई हैं। वह मीरा के हंसी, प्यारी आदतों और उसकी चमकदार आंखों में खो जाता था। लेकिन वह दोस्ती को खत्म करने का डर से अपने प्रेम का इज़हार करने से घबराया।
    राज को अनजाने में, मीरा भी एकीकृत थी। वह हमेशा राज के साथ वक़्त बिताने में आनंद लेती थी और उसकी मौजूदगी में आराम पाती थी। लेकिन उसे यह सोचकर रुकावट आ गई कि यदि उसका दोस्त उसी तरह नहीं महसूस करता है जैसा कि वह महसूस करती है, तो उसे खोने का ख़याल उसे इज़हार नहीं करने देता।
    एक शाम, स्थानीय त्योहार के दौरान, राज और मीरा एक साथ बाज़ार में सैर कर रहे थे। भीड़ और रंगीन रौनक के बीच, राज ने अपने भावों को साझा करने के लिए साहस जुटाया। उसने एक शांतिपूर्ण फव्वारे के पास रुक कर, मीरा की आंखों में गहराई से देखा और उसे अपने प्यार का इज़हार किया। उसका दिल धड़क रहा था जैसे वह उसके जवाब का इंतज़ार कर रहा था।
    मीरा शर्म से लाल हो गई, उसके दिल में उत्साह भरा, और आंसू उसकी आँखों में आ गए। उसे लगा कि यह पल उसने बहुत पल पहले से इंतज़ार किया था, लेकिन यह भी डर था कि उनकी दोस्ती के रिश्ते को खत्म करने से उन्हें क्या नुकसान हो सकता है। उसने गहरी साँस ली और इज़हार किया कि उसे राज से प्रेम हो गया है।
    आश्चर्य और ख़ुशी ने राज को आवेगित किया, और वे हाथ मिलाए खड़े हो गए, समझते हुए कि वे एक दूसरे के लिए बने हैं। उनके परिवार जल्द ही उनके प्यार के बारे में जानकार हुए, और उनकी आशीर्वाद से, राज और मीरा का रिश्ता मजबूत हुआ। वे एक-दूसरे के साथ मुसीबतों का सामना करने के लिए तैयार रहे, एक-दूसरे का साथ देते, और प्रोत्साहित करते रहे।
    हालांकि, जैसे ही एक प्रेम कहानी में होता है, उनके रास्ते पर चुनौतियां आई। जब वे कॉलेज में प्रवेश करने के लिए चले गए, तो दूरस्थ रहने के समय की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनका प्यार अटूट रहा, क्योंकि वे हर दिन बातचीत करते, अपने अनुभव साझा करते, और एक-दूसरे के प्रति वफ़ादार रहने का वादा करते थे।
    अपने अध्ययन पूरा करने के बाद, राज और मीरा अपने गांव वापस लौटे, जहां से उन्होंने शादी करने का निर्णय किया। उनके परिवार ने उनके विवाह की खुशी मनाई, उनकी ख़ूबसूरत प्रेम कहानी का सम्मान किया।
    और ऐसे ही, राज और मीरा हमेशा के लिए खुश रहे, साबित करते हुए कि वास्तविक प्रेम हर कठिनाई को अधीन बना सकता है और सबसे मजबूत रिश्ते अक्सर सबसे पवित्र दोस्ती से ही खिलते हैं। उनकी प्रेम कहानी ने उनके गांव में बहुतों को प्रेरित किया, सबको याद दिलाते हुए कि प्रेम, विश्वास और दोस्ती एक दूसरे के लिए एक सदाबहार संबंधों के आधार हैं।

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  • पहली मुलाकात में हुआ प्यार, Love happened in first meet

    विक्रम शहर में एक नए आवासी थे।
    उन्होंने हाल ही में नौकरी शुरू की थी और अपने नए जीवन का आनंद उठा रहे थे।
    एक दिन, उनके दोस्तों ने उन्हें एक सोशल गेटरिंग में बुलाया, जो शहर के नए लोगों के बीच में मिलने का एक अच्छा मौका था।
    विक्रम ने उनकी सलाह मानते हुए गेटरिंग में शामिल होने का निर्णय लिया।
    उन्होंने अपना सबसे अच्छा परिधान पहना और आया।
    जब उन्होंने वहाँ पहुँचकर देखा, तो वे हीरोइनों की तरह खिल रहे आतिथ्य देखकर थोड़े से डरे।
    उन्होंने धीरे-धीरे उस सभी के बीच अपनी जगह ढूंढ ली और वहाँ खड़े हो गए।
    उनके दोस्त उन्हें दिलासा देते हुए बताए कि वह बिल्कुल नए लोगों से मिलने के लिए डरने की
    बजाय उनका स्वागत करने में खुशी खुशी अपनी जगह पा सकते हैं।
    जब गेटरिंग शुरू हुई, तो विक्रम ने अपनी हिचकिचाहट को सामने रखकर एक बातचीत में शामिल हो गए।
    वे धीरे-धीरे बातचीत के माध्यम से अपनी पहचान बनाने में सफल हुए और
    अन्य लोगों से मिलकर आत्मविश्वास पैदा करने लगे।
    चारों ओर बातचीत का माहौल गरम हो गया और विक्रम की नजरें एक खूबसूरत लड़की पर जा पड़ीं,
    जो भी वही अपने दोस्तों के साथ खड़ी थी।
    विक्रम की दिल में एक अजीब सी छलकन उठी, जिसे वह पहली बार महसूस कर रहे थे।
    देर रात, जब गेटरिंग की अंतिम तिथि आई, तो विक्रम ने साहस जुटाया और
    उस लड़की से बात करने का निर्णय लिया।
    वह उसके पास गया और मुस्कान के साथ नमस्ते कहा।
    "हाय, मैं विक्रम। तुम्हारा नाम क्या है ?" विक्रम ने कहा।
    "मैं रिया, खुशी हुई विक्रम।" रिया ने पूरी मित्रभावना के साथ जवाब दिया।
    उनकी पहली मुलाकात के बाद, दोनों ने धीरे-धीरे एक-दूसरे से अधिक बात करने लगे,
    और उनकी यह मुलाकात एक नई शुरुआत की थी,
    जिसने उनके जीवन को बदल दिया।

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  • राधा और मोनू की कहानी, The story of radha and monu

    यह कहानी है एक छोटे से गाँव की, जहां राधा और मोनू एक-दूसरे के पड़ोसी थे।
    राधा एक सुंदर और समझदार लड़की थी, जबकि मोनू एक सहज और दिल के साफ लड़का था।
    गाँववालों की आँखों में, राधा और मोनू के बीच की दोस्ती कुछ खास थी।
    पहली बार जब राधा और मोनू मिले, वे एक-दूसरे से बहुत प्राकृतिक रूप से बातचीत करने लगे।
    दोनों की पहली मुलाकात से ही उनमें एक अजीब सा कनेक्शन था।
    वे एक-दूसरे को समझते थे और अपनी बातें साझा करते थे, जैसे कि वे सिर्फ दो दोस्त हों।
    समय के साथ, राधा और मोनू की दोस्ती में एक परिवर्तन हुआ और वे एक-दूसरे के प्रति अधिक आकर्षित होने लगे।
    राधा को लगने लगा कि वह मोनू के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती है, और मोनू भी उससे प्यार करने लगा था।
    एक दिन, मोनू ने अपने दिल की बात राधा से कह दी।
    राधा थोड़ी सी हैरानी में थी, लेकिन फिर उसने भी अपने दिल की बात मोनू से कह दी।
    उनका प्यार एक नए आरंभ की ओर बढ़ गया।
    गाँववालों ने दोनों को एक-दूसरे के साथ देखकर खुश हुए और उनके प्यार की कहानी गाँव की बात बन गई।
    राधा और मोनू ने एक-दूसरे के साथ अपनी जिंदगी की नई शुरुआत की, और उनकी प्रेम कहानी गाँव के लोगों के बीच में मिथक बन गई।

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  • मेरे जीवन साथी, My life partner

    एक पति और पत्नी की प्रेम कहानी - मेरी प्यारी सुधा
    तुम बिन मैं कुछ नही......सुधा...
    मोहन ने सुधा का हाथ अपने हाथ मे लेके बोला...
    "डाक्टर कहते है कि तुम मेरी बात नही सुन सकती पर मुझे पता है कि तुम मेरी बात....
    मेरा स्पर्श सब महसूस करती हो....मोहन बोला...
    फिर कुछ पल एक टक सुधा को देखता रहा...
    "जल्दी से ठीक हो जाओ सुधा.....
    तुम्हारी ये ख़ामोशी मुझे चुभती है .. ...
    मुझे तो वो चुलबुली चहकती ,दिनभर पटर पटर बोलने वाली सुधा चाहिए...
    तुम बिन मैं कुछ नहीं... ...
    इस अनाथ को तुमने अपने प्यार से एक परिवार का सुख दिया जिसके लिए मैं बचपन से तरसता रहा.. ..
    फिर तुम्हारे आने से मेरी बंजर ज़िंदगी जैसे फिर से हरी भरी हो गयी..
    अरे ऐसे क्या देख रही हो.. ...
    मैं सच कह रहा हूँ सुधा.....
    तुमने जहा एक ओर पत्नी बन मेरी ज़िंदगी को प्यार के रंग रंगीन किया ..
    वही अपने दुलार व मेरी परवाह कर एक मां की तरह अपने प्यार का आँचल मेरे सर पे रखा...
    कभी कुछ गलत करने पे एक पापा की जैसे डांटा औऱ फिर एक पापा के जैसे सही गलत बता के मेरा मार्गदर्शन भी किया.
    और कभी खुद बच्ची बन कभी चुस्की की ...,
    कभी इमली की ऐसी कितनी छोटी छोटी फरमाइशें कर मुझे बड़प्पन का एहसास दिलाया तुमने..
    हमने साथ मे ज़िंदगी के खुशनुमा तीस सावन साथ मे बिताये.. ...
    आज जब तुम मुझसे दूर हो तो पहली बार एहसास हो रहा है कि तुम मेरी ज़िंदगी की ज़रूरत नही बल्कि मेरी ज़िंदगी ही हो सुधा.....
    यहा अस्तपाल में सब मुझको पागल समझते है मेरे पीठ पीछे मेरा मज़ाक भी उड़ाते है कहते है ...
    "कितना बेवकूफ है कोमा में कोई सुनता है भला....
    पर मुझे इन पे गुस्सा नही आता..
    जब तुम मुझसे रूठती थी तो कहती थी ना....
    "ये बादल तो या तो शांत रहता है या गुस्सा की बारिश करता प्यार भरी बारिश तो करना जैसे आता ही नही" ..
    "तुमको पता है मैं अब गुस्सा भी नही होता किसी पे करूँ.......
    गुस्सा तो अपनो पे किया जाता है ना.....
    ये कहके मोहन का गला रुंध हो गया..
    मेरी ज़िंदगी की हरियाली तुम ही हो सुधा....
    तुम बिन मैं कुछ नही....
    प्लीज मेरे दिल की पुकार सुन लो....
    मुझे एक बार फिर से अनाथ मत करो,एक बार फिर मेरी बंजर ज़िंदगी को अपने प्यार की हरियाली से हरा कर दो...
    सुधा का हाथ अपने हाथ मे लेके आज मोहन जैसे बादलों की बारिश की तरह आंसूओ से बरस पड़ा..
    बादल के आंसूओ से सुधा का हाथ भीग गया उसके हाथ मे थोड़ी हलचल हुई..
    जैसे मानो मोहन के आँसू बादल रुपी वर्षा से सूखी धरा का रोम रोम खिल गया हो...

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  • करण और एक सुंदरी लड़की निया, Karan and a beautiful girl nia

    एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में, एक जवान लड़का करण और एक सुंदरी सी लड़की निया रहते थे।
    वे दिन भर साथ खेलते, हंसते और अपने दिल की बातें बांटते थे।
    जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, उनका रिश्ता और गहरा हो गया, और उन्हें एहसास हुआ कि वे एक-दूसरे से प्यार कर बैठे हैं।
    लेकिन किस्मत ने उनके साथ अलग खेल रचा।
    निया के पिता को काम के कारण एक दूसरे शहर भेज दिया गया।
    नामकरण बेहद दुखी था, लेकिन वे वादा करते हैं कि वे संपर्क में रहेंगे।
    सालों बीत गए, और नामकरण ने मेहनत करके अपने सपनों को पूरा किया।
    वे एक सफल उद्यमी बन गए, लेकिन वे निया को भूल नहीं पाए।
    वहीं, निया ने खुद को एक कलाकार के रूप में साबित किया और नामकरण को फिर से देखने की आशा करती रही।
    एक दिन, किस्मत ने उन्हें फिर से आमने-सामने ला दिया, जब एक कला प्रदर्शनी में।
    उनकी आँखें मिलीं, और सभी छिपी हुई भावनाओं ने उबल कर सामने आए।
    वे पूरी शाम एक-दूसरे से मिलते रहे, अपने जीवनों की खबरें आपस में बांटते रहे।
    महसूस करते हुए, कि वे कभी एक-दूसरे को प्यार करना कभी नहीं छोड़ा, नामकरण और निया ने अपने प्यार को दूसरी मौका देने का फैसला किया।
    उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया, दूरी का सामना किया, और गलतफहमियों का मुकाबला किया, लेकिन उनका प्यार उन सभी चीजों से मजबूत था।
    आखिरकार, वे एक भारतीय परंपरागत शादी में विवाह कर गए, अपने प्रियजनों के बीच।
    उनकी प्रेम कहानी बहुतों के लिए प्रेरणा बनी, जो दिखाती थी कि सच्चा प्यार किसी भी रुकावट को पार कर सकता है।
    और वे खुशी-खुशी जीते, अपने प्यार को याद करते, और सदैव कृतज्ञ रहते,
    जो उन्हें एक दूसरे के प्यार का दूसरा मौका दिया था।

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