ज्ञान के लिए पथ , Path to wisdom
एक जंगल में एक साधु बहुत सालों से तपस्या कर रहा था, वह एक पेड़ के नीचे बैठकर अपनी तपस्या में मगन था। उस जगह पर पानी की बाढ़ आ जाती है, सारे लोग इधर से उधर भाग रहे थे, और यह साधु अपनी तपस्या में मगन थे।
इन्हें पता नहीं था कि पानी की बाढ़ आ चुकी है जब एक आदमी वहां से भाग रहा था, तो उसने इस साधु को देखा और इन्हें सावधान किया की पानी की बाढ़ आ चुकी है! सारे लोग यहां से भाग रहे हैं, आप भी यहां से चलो!
तो उस साधु ने कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ” कुछ देर के बाद पानी साधु के गले तक आ गया, तभी वहां से कुछ लोग नाव में बैठकर भाग रहे थे, उन्होंने जब साधु को देखा तो उनसे कहा कि आप हमारे साथ नाव में बैठ जाओ! वरना आप डूब जाएंगे।
लेकिन साधू ने फिर से वही कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ” और वह लोग भी, वहां से नाव लेकर चले गए। थोड़ी देर के बाद जब पानी बढ़ने लगा, तो वह साधु एक पेड़ पर चढ़ गए।
तभी वहां से एक हेलीकॉप्टर गुजर रहा था, जो लोगों को बचा रहा था। जब उन्होंने इस साधु को देखा, तो साधू की तरफ रस्सी फेंकी और उन्हें ऊपर आने को कहा, लेकिन साधू ने फिर से वही कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ”
और वह हेलीकॉप्टर वाले भी वहां से चले गए। धीरे-धीरे पानी बढ़ने लगा और वह साधु पानी में डूब कर ही मर गया। जब वो मरने के बाद भगवन के पास पहुंचा, तो उसने भगवन से कहा कि “मेने आपकी इतनी तपस्या की, इतना आपको रात-दिन याद किया, आपने मुझे बचाया क्यों नहीं?
तो भगवन ने कहा ” अरे बेवक्कूफ़! तुझे बचाने के लिए, तीन बार मैंने ही तो उन तीनों इंसानों को भेजा था! ” एक बार पैदल, दूसरी बार नाव लेकर, और तीसरे बार हेलीकॉप्टर लेकर।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: कि खुदा हमेशा किसी न किसी को जरिया बनाकर भेजता है, हमारी मदद करने के लिए। लेकिन हम अपने घमंड में उन्हें पहचान नहीं पाते हैं, और ऐसे मौके हाथ से गवा देते हैं।
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