मेहनती किसान, Diligent farmer

यह कहानी है एक किसान की, जो की बहुत मेहनती था। वह बड़ी मेहनत से खेतों में अनाज उगाता था और उसकी देखभाल करता था। पर अक्सर ही उसकी फसल खराब हो जाती थी।
कभी सूखा पड़ जाता, कभी बाड़ आ जाती, या कभी तेज धूप, और कभी आंधी। कोई ना कोई वजह से उसकी फसल खराब हो ही जाती थी।
1 दोनों किस पेड़ के नीचे बैठकर अपनी बर्बाद हुई फसल को देख रहा था, और तभी वह गुस्से में आसमान की तरफ देखकर भगवान से कहता है ” की मालिक आपको सब बहुत महान मानते हैं और सबसे ज्यादा ज्ञानी मानते हैं, कहते हैं कि आप सब जानते हैं! लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आपको कुछ भी नहीं पता। “
मुझे यह लगता है कि आपको तो यह भी नहीं पता होगा, की फसल कैसे होती है! अगर आप यह जानते होते, तो हर समय जो बाढ़, आंधी, और तूफान आते हैं, वह कभी नहीं आती।
आप नहीं जानते कि कितना नुकसान उठाना पड़ता है हम किसानों को। अगर मेरे हाथ में शक्ति होती, की जैसा मैं चाहूं, वैसा मौसम हो जाए, तो फिर आप देखना मैं फसल को कितने अच्छे तरीके से उगाता हूं।
तभी उतने में ऊपर से एक आवाज आई, ” ले मैं तुझे यह ताकत देता हूं कि आज से तू जैसा चाहे वैसा मौसम करके अपने फसल को उड़ा सकता है, और अपनी फसलों की हिफाजत कर सकता है। “
एक-दो दिन गुजारने के बाद किस ने फिर से अपने खेत में गेहूं की फसल उगाई, अब किसान के पास तो शक्ति थी, वह जैसा चाहे वैसा मौसम कर सकता था। तो किसान ने आंधी, तूफान, और बाढ़, कुछ भी उसने अपने खेतों पर आने नहीं दिया।
किसान ने अपनी फसलों को बर्बाद होने से बचाया, और उस साल उस किसान के खेत में ऐसी फसल हुई, जो पहले कभी नहीं हुई थी। मन-ही-मन किसान बहुत खुश हो रहा था और साथ ही साथ यह सोच भी रहा था कि भगवन को बताऊंगा, कि इसे कहते हैं शक्ति का सही इस्तेमाल।
कुछ दिन और गुजरने के बाद फसल काटने के लिए तैयार हो गई, किसान बड़े उत्सुकता के साथ फसल को काटने लगा, पर जैसे ही उसकी नजर गेंहू की बोलियां पर पड़ी, तो वह हैरान हो गया। क्योँकि उन वालियों में, गेहूं के दाने ही नहीं थे।
गेंहू के एक भी बाली के अंदर, गेहूं का दाना ही नहीं था, सारी बालियां अंदर से खाली थी। अब वह किस बड़ा परेशान हो गया, और फिर से भगवान को पुकारने लगा। वह जोर-जोर से चिल्ला कर यह कह रहा था ” भगवान शायद तूने मुझे कोई सजा दी है! तभी ऊपर से आवाज आई कि मेने तुम्हें कोई सजा नहीं दिया है, बल्कि इसकी जिम्मेदार तो तुम खुद हो!”
तुमने अपने पौधों को संघर्ष करने का मौका ही नहीं दिया। ना तो तुमने उन्हें आंधियों से जूझने दिया, ना ही तेज बारिश से सहने दिया, और ना ही धूप में तपने दिया। एक भी चुनौती का सामना तुमने उन्हें नहीं करने दिया, इसीलिए सारे पौधे अंदर से खोखले रह गए।
जब आंधी, तूफान, तेज बारिश, और धूप पड़ती है तभी यह पौधे संघर्ष करते हैं, और इसी संघर्ष से ताकत पैदा होती है। जिसमें पावर होता है, एनर्जी होती है और इसी संघर्ष से गेहूं का दाना बनता है।
तूने उन्हें बुरे वक्त से गुजरते ही नहीं दिया, जहां उनका बनावट होता, सारी बालियां इसीलिए खोकली रह गई, क्योंकि तुमने अपने पौधों को संघर्ष कराया ही नहीं।
सेम यही चीज दोस्तों हमारे साथ भी होती है, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: कि बुरा वक्त जो होता है, जिसे लोग संघर्ष कहते हैं, स्ट्रगल कहते हैं, यहीं से एक इंसान की तरक्की होती है।
आपको पता होगा कि जब एक डायरेक्टर कोई मूवी बनता है, तो डायरेक्टर सबसे डिफिकल्ट रोल, अपने बेस्ट एक्टर को देता है। तो जब भी आपको ऐसा लगे, कि आपकी जिंदगी में तकलीफ है, बहुत ज्यादा प्रॉब्लम्स है, और आपकी किस्मत खराब है, तब खुश हो जाइए, क्योंकि उस भगवन ने यह सारी प्रॉब्लम्स आपकी लाइफ में ही क्यों दिया है?
क्योंकि उसे पता है, कि आप इन सब को पार करके आगे निकल सकते हो। और जरा सोच कर तो देखिए की अगर आपकी जिंदगी में कोई प्रॉब्लम ही ना हो, कोई संघर्ष ही ना हो, तब जिंदगी जीने में मजा ही नहीं आता है।

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