लालची दूधवाला, Greedy milkman

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में रवि नाम का एक दूधवाला रहता था। वह अपने लालची स्वभाव के लिए जाना जाता था। उसके पास एक गाय थी जो पूरे गांव में सबसे स्वादिष्ट और अधिक मात्रा में दूध दे दी थी। हर सुबह वह दूध निकालता और गांव के लोगों तक पहुंचाता था।
एक दिन रवि को यह एहसास हुआ कि गांव वालों को उसके गाय का दूध बहुत पसंद आ रहा है। इस बात से उसे बहुत खुशी होती है और उसके लालची दिमाग में एक उपाय आता है। वह सोचता है कि “अगर मैं दूध में पानी मिला दूं तो मैं अपना मुनाफा बढ़ा सकता हूं और किसी को पता भी नहीं चलेगा।”
उस दिन के बाद से रवि गांव वालों को दूध पहुंचाने से पहले उसमें पानी मिला देता था। उसे लगने लगा था कि वह बहुत चालाक हो गया है और उसके इस काम के बारे में किसी को नहीं पता चलेगा। फिर भी, गांव वालों को दूध के स्वाद में बदलाव नजर आता है क्योंकि उसका स्वाद अब पहले जैसा नहीं था।
जल्द ही, रवि के दूध में पानी मिलाने की खबर पूरे गांव में फैल जाती है। लोग शिकायत करने लगते हैं और उसके दूध का बहिष्कार करते हैं। लोगों को बहुत गुस्सा आता है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने जिस पर भरोसा किया उसी ने उनके साथ धोखा किया है।
रवि के गलत काम की वजह से उसका धंधा नीचे गिरने लगता है। उसे अपनी गलती का एहसास होता है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। उसकी गांव वालों की नजर में जो इज्जत थी वह खत्म हो चुकी थी। गांव वाले अब उस पर भरोसा नहीं कर सकते थे और उसका दूध लेने से मना करने लगे।
अपने किए पर शर्मिंदा होकर रवि ने फैसला किया कि वह अपने काम करने के तरीके बदलेगा। उसने कसम खा ली कि वह एक ईमानदार व्यापारी बनेगा और गांव वालों का भरोसा वापस जीतेगा। रवि ने फिर से गाओं वालों को शुद्ध और बिना मिलावट के दूध देना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे गांव वालों को रवि के काम करने के तरीके में बदलाव नजर आया और उसकी तारीफ करने लगे। उन्होंने उसे माफ कर दिया और फिर से उससे दूध लेना शुरू कर दिया। रवि ने ईमानदारी के महत्व और लालच के परिणामों के बारे में एक जरुरी सबक सीखा।
उस दिन के बाद से रवि एक ईमानदार दूधवाले के नाम से जाना जाने लगा। उसे उसकी खोई हुई इज्जत और गांव वालों का भरोसा वापस मिल गया। उसका धंधा फिर से चलने लगा। उसे समझ आ गया कि असली सफलता, ईमानदार होने और ईमानदारी से दूसरों की सेवा करने से आती है।
“लालच से अस्थायी लाभ हो सकता है, लेकिन यह अंततः भरोसे को खत्म कर देता है। हालाँकि, ईमानदारी और निष्ठा लंबे समय तक चलने वाली सफलता और सम्मान की कुंजी है।”

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