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उन चीजों पर अपना समय बिताएं जो वास्तव में बात करते हैं, Spend your time on things that really matter
एक बार एक शिक्षक कक्षा में कुछ ले आयाउसने मेज़ पर एक बड़ा जार रखा और जार में कुछ बड़े पत्थर रखे।जार बड़े पत्थरों से भरा हुआ था, लेकिन पत्थरों के बीच कुछ स्थान था।
कक्षा में बच्चों को देखो और उनसे पूछो: क्या आपने जार भर दिया है?हाँ, सभी बच्चे!मैंने जवाब दिया।तब शिक्षक ने छोटे-छोटे कंकड़ लेकर उन्हें जार में फेंक दिया और धीरे से जार को धक्का दिया।
जार में बड़े पत्थरों के बीच का खाली हिस्सा उन छोटे कंकड़ से भर गया।तो शिक्षक ने बच्चों से पूछा, "क्या बोतल तैयार है?"सभी बच्चों को फिर से यहाँ हैं!मैंने जवाब दिया।एक बच्चे के रूप में, हाँ!शिक्षक ने अपने बैग से एक सैंडबॉक्स लिया और इसे जार में डाल दिया।
जार का छोटा सा छेद रेत से भरा हुआ था।तो शिक्षक ने फिर से पूछा।क्या यह अच्छा जार भरा है?
बच्चों ने फिर सिर हिलाया।हाँ!उसी तरह सेशिक्षक ने बच्चों को देखा और उनसे कहा, "चलो इस बर्तन को अपनी जिंदगी की तरह लें और उन बड़े पत्थरों को जोड़ दें, वे आपके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण और अनमोल चीज़ें हैं।"
उदाहरण के लिए, आपका परिवार, आपका साथी, आपका स्वास्थ्य, और आपके बच्चे।यदि आप अपने जीवन में सब कुछ खो देते हैं और यह आपके द्वारा छोड़ी गई एकमात्र चीज़ है, तो आपका जीवन अभी भी लायक हैकंकड़ हमारे पास अन्य चीजें हैं जो आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उदाहरण के लिए, आपकी नौकरी, आपकी नौकरी, आपका व्यवसाय, आपका घर, और आपकी कारक्या रेत है, यह आपके जीवन में सबसे छोटी चीज है जो आपको चलती रहती है भले ही आपके पास यह न हो।
तो मैं तुम्हें यह कहानी बताना चाहती हूँ, पहले अगर तुम अपने जीवन के जार में रेत डालो, तब पत्थर और कनवर्टर्स के लिए जगह ही नहीं बची रहेगी।
यदि आप छोटी सी चीजों पर अपनी सारी ऊर्जा और समय बिताते हैं, तो यह आपके जीवन पर भी लागू होता हैउन चीजों पर अपना समय बिताएं जो वास्तव में बात करते हैं
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अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ें।, Never give up on your dreams
एक बार की बात है, एक गरीब औरत थी जिसका नाम आइशा था। वह एक छोटे से गाँव में अपने माता-पिता और छोटे भाई-बहनों के साथ रहती थी।
उसके पिता एक किसान थे, लेकिन खेत बहुत उपजाऊ नहीं था, और वे अक्सर किसी तरह का गुजारा करते थे।
आइशा एक बुद्धिमान और जिज्ञासु लड़की थी। वह अपने आसपास की दुनिया के बारे में जानना पसंद करती थी।
वह एक वैज्ञानिक बनने का सपना देखती थी, लेकिन वह जानती थी कि अपने परिवार की वित्तीय स्थिति के कारण उसे अपना लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा !
एक दिन, आइशा के पिता बीमार पड़ गए। वह काम करने में असमर्थ थे, और परिवार की आय और भी कम हो गई। आइशा को अपने परिवार की मदद करने के लिए स्कूल छोड़ना पड़ा।
आइशा ने अपने परिवार का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत की। उसने घरों की सफाई और खेतों में काम करने जैसे अजीब-अजीब काम किए।
उसने स्थानीय बाजार में सब्जियां बेचना भी शुरू किया। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद, आइशा ने वैज्ञानिक बनने के अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा।
वह देर रात तक पढ़ाई करती थी और स्थानीय पुस्तकालय से किताबें उधार लेती थी। उसने घर पर भी अपने स्वयं के प्रयोग करना शुरू कर दिया।
कई सालों की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बाद, आइशा ने आखिरकार अपने सपने को हासिल कर लिया। वह विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वैज्ञानिक बन गईं।
उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आइशा की कहानी हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। यह दिखाता है कि अगर हम अपने दिमाग में रखते हैं और अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ते हैं
तो कुछ भी संभव है। यह भी दिखाता है कि हमारे जुनून का पालन करना महत्वपूर्ण है, भले ही यह मुश्किल हो।
राधा और मोनू की कहानी, The story of radha and monu
यह कहानी है एक छोटे से गाँव की, जहां राधा और मोनू एक-दूसरे के पड़ोसी थे।
राधा एक सुंदर और समझदार लड़की थी, जबकि मोनू एक सहज और दिल के साफ लड़का था।
गाँववालों की आँखों में, राधा और मोनू के बीच की दोस्ती कुछ खास थी।
पहली बार जब राधा और मोनू मिले, वे एक-दूसरे से बहुत प्राकृतिक रूप से बातचीत करने लगे।
दोनों की पहली मुलाकात से ही उनमें एक अजीब सा कनेक्शन था।
वे एक-दूसरे को समझते थे और अपनी बातें साझा करते थे, जैसे कि वे सिर्फ दो दोस्त हों।
समय के साथ, राधा और मोनू की दोस्ती में एक परिवर्तन हुआ और वे एक-दूसरे के प्रति अधिक आकर्षित होने लगे।
राधा को लगने लगा कि वह मोनू के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती है, और मोनू भी उससे प्यार करने लगा था।
एक दिन, मोनू ने अपने दिल की बात राधा से कह दी।
राधा थोड़ी सी हैरानी में थी, लेकिन फिर उसने भी अपने दिल की बात मोनू से कह दी।
उनका प्यार एक नए आरंभ की ओर बढ़ गया।
गाँववालों ने दोनों को एक-दूसरे के साथ देखकर खुश हुए और उनके प्यार की कहानी गाँव की बात बन गई।
राधा और मोनू ने एक-दूसरे के साथ अपनी जिंदगी की नई शुरुआत की, और उनकी प्रेम कहानी गाँव के लोगों के बीच में मिथक बन गई।
एक बुद्धिमान व्यक्ति, A wise man
अक्सर चीजे हमें वैसी नहीं दिखती जैसी वे हैं, बल्कि वैसी दिखती हैं जैसे हम हैं ।
यह एक ऐसे बुद्धिमान वयक्ति की कहानी है जो अपने गाँव के बाहर बैठा हुआ था। एक यात्री उधर से गुजरा और उसने उस व्यक्ति से पूछा, इस गाँव में किस तरह के लोग रहते हैं क्योंकि मैं अपना गाँव छोड़ कर किसी और गाँव में बसने की सोच रहा हूँ।
तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ?
उस आदमी ने कहा, वे स्वार्थी, निर्दयी और रूखे हैं।
बुद्धिमान व्यक्ति ने जवाब दिया इस गाँव में भी ऐसे ही लोग रहते हैं।
कुछ समय बाद एक दूसरा यात्री वहाँ आया और उसने उस बुद्धिमान व्यक्ति से व्ही सवाल पूछा। बुद्धिमान व्यक्ति ने उससे भी पूछा, तुम जिस गाँव को छोड़ना चाहते हो, उस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ?
उस यात्री ने जवाब दिया, वहाँ के लोग विनम्र, दयालु और एक-दूसरे की मदद करने वाले हैं। तब बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा, इस गाँव में भी तुम्हें ऐसे ही लोग मिलेंगे।
आम तौर पर हम दुनिया को उस तरह नहीं देखते जैसी वह है बल्कि जैसे हम खुद है वैसी देखते है।
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि -ज्यादातर मामलों में दूसरे लोगों का व्यवहार हमारे ही व्यवहार का आईना होता है।
अगर हमारी नीयत अच्छी होती है तो हम दूसरों की नीयत भी अच्छी मान लेते हैं। हमारा इरादा बुरा होता है तो हम दूसरों के इरादों को भी बुरा मान लेते हैं।
ज्ञान के लिए पथ , Path to wisdom
एक जंगल में एक साधु बहुत सालों से तपस्या कर रहा था, वह एक पेड़ के नीचे बैठकर अपनी तपस्या में मगन था। उस जगह पर पानी की बाढ़ आ जाती है, सारे लोग इधर से उधर भाग रहे थे, और यह साधु अपनी तपस्या में मगन थे।
इन्हें पता नहीं था कि पानी की बाढ़ आ चुकी है जब एक आदमी वहां से भाग रहा था, तो उसने इस साधु को देखा और इन्हें सावधान किया की पानी की बाढ़ आ चुकी है! सारे लोग यहां से भाग रहे हैं, आप भी यहां से चलो!
तो उस साधु ने कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ” कुछ देर के बाद पानी साधु के गले तक आ गया, तभी वहां से कुछ लोग नाव में बैठकर भाग रहे थे, उन्होंने जब साधु को देखा तो उनसे कहा कि आप हमारे साथ नाव में बैठ जाओ! वरना आप डूब जाएंगे।
लेकिन साधू ने फिर से वही कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ” और वह लोग भी, वहां से नाव लेकर चले गए। थोड़ी देर के बाद जब पानी बढ़ने लगा, तो वह साधु एक पेड़ पर चढ़ गए।
तभी वहां से एक हेलीकॉप्टर गुजर रहा था, जो लोगों को बचा रहा था। जब उन्होंने इस साधु को देखा, तो साधू की तरफ रस्सी फेंकी और उन्हें ऊपर आने को कहा, लेकिन साधू ने फिर से वही कहा कि ” तुम जाओ! मुझे भगवन बचा लेगा। ”
और वह हेलीकॉप्टर वाले भी वहां से चले गए। धीरे-धीरे पानी बढ़ने लगा और वह साधु पानी में डूब कर ही मर गया। जब वो मरने के बाद भगवन के पास पहुंचा, तो उसने भगवन से कहा कि “मेने आपकी इतनी तपस्या की, इतना आपको रात-दिन याद किया, आपने मुझे बचाया क्यों नहीं?
तो भगवन ने कहा ” अरे बेवक्कूफ़! तुझे बचाने के लिए, तीन बार मैंने ही तो उन तीनों इंसानों को भेजा था! ” एक बार पैदल, दूसरी बार नाव लेकर, और तीसरे बार हेलीकॉप्टर लेकर।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: कि खुदा हमेशा किसी न किसी को जरिया बनाकर भेजता है, हमारी मदद करने के लिए। लेकिन हम अपने घमंड में उन्हें पहचान नहीं पाते हैं, और ऐसे मौके हाथ से गवा देते हैं।
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दो पक्षियों की कहानी, A tale of two birds
एक बार की बात है, दो पक्षी एक ऊँचे पेड़ पर घोंसले में रहते थे। दोनो पक्षी एक दुसरे से बिलकुल अलग थे। एक पक्षी छोटा और डरपोक था, जबकि दूसरा पक्षी बड़ा और साहसी था।
छोटा पक्षी हमेशा हर चीज़ से डरता था। वह हवा, बारिश और यहाँ तक कि जंगल के अन्य जानवरों से भी डरता था। दूसरी ओर, बड़ा पक्षी किसी भी चीज़ से नहीं डरता था। तूफ़ान आने पर भी यह आसमान में ऊंची उड़ान भरते था ।
अचानक एक दिन जंगल में तूफ़ान आया। बहुत तेज हवा चल रही थी और बारिश भी हो रही थी, छोटा पक्षी बहुत भयभीत था। वह घोंसले के एक कोने मे डरकर बैठ गया, हिलने-डुलने से बहुत डरता था। दूसरी ओर बड़ा पक्षी डरा नहीं था। वह घोंसले से बाहर उड़ गया और तूफान में चला गया।
बड़ा पक्षी हवा पर सवार होकर आकाश में ऊँचा उड़ गया। यह बहुत ही खुश था । बड़े पक्षी ने कभी इतना स्वतंत्र महसूस नहीं किया था। थोड़ी देर बाद तूफान थम गया। बड़ा पक्षी वापस घोंसले मे लौटकर आया और छोटे पक्षी को अपने साहसिक कार्य के बारे में बताया।
छोटा पक्षी चकित रह गया। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि तूफ़ान में उड़ना इतना मज़ेदार हो सकता है , छोटे पक्षी ने बड़े पक्षी से उसे तूफ़ान में उड़ना सिखाने को कहा। बड़ा पक्षी सहमत हो गया और दोनों पक्षियों ने एक साथ तूफान में उड़ने का अभ्यास किया।
आख़िरकार, छोटी चिड़िया के अंदर जो डर था , वो साहस मे बदल गया ,तूफान आने पर भी यह आसमान में ऊंची उड़ान भर सकता था। छोटा पक्षी तूफान में उड़ना सिखाने के लिए बड़े पक्षी का बहुत आभारी था।
दोनों पक्षी एक साथ घोंसले में रहते रहे। वे अभी भी बहुत अलग थे, लेकिन वे सबसे अच्छे दोस्त भी थे। उन्होंने सीखा कि अलग होना ठीक है और हम सभी एक-दूसरे से सीख सकते हैं।
कहानी का सीख यह है कि अलग होना ठीक है। हम सभी को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम कौन हैं, और हमें दूसरों में अंतर की सराहना करना सीखना चाहिए। हम सभी एक-दूसरे से सीख सकते हैं, और हम सभी दोस्त बन सकते हैं, भले ही हम अलग-अलग हों।
लालच करना बुरी बात है, Greed is bad thing to do
हम सभी लालची राजा मिदास की कहानी जानते हैं। उसके पास सोने की कमी नहीं थी, लेकिन सोना जितना बढ़ता वह और अधिक सोना चाहता।
उसने सोने को खजाने में जमकर लिया था और हर रोज उसे गिना करता था।
एक दिन जब वह सोना गिन रहा था तो एक अजनबी कहीं से आया और बोला, तुम मुझसे ऐसा कोई वरदान मांग सकते हो जो तुम्हें दुनिया में सबसे ज्यादा ख़ुशी दे।
राजा खुश हुआ और उसने कहा मैं चाहता हूँ कि जिस चीज को छुऊँ, वह सोना बन जाए। अजनबी ने राजा से पूछा क्या तुम सचमुच यही चाहते हो ?
राजा ने कहा हाँ, तो अजनबी बोला कल सूरज की पहली किरण के साथ ही तुम्हें किसी चीज को छूकर सोना बना देने की ताकत मिल जाएगी। राजा ने सोचा कि वह सपना देख होगा, यह सच नहीं हो सकता। अगले दिन जब राजा नींद से उठा तो उसने अपना पलंग छुआ और वह सोना बन गया। वह वरदान सच था।
राजा ने जिस चीज को छुआ, वह सोना बन गई। उन्होंने खिड़की के बाहर देखा और अपनी नन्हीं बच्ची को खेलते पाया। उसने अपनी बिटिया को यह अजूबा दिखाना चाहा और सोचा कि वह खुश होगी। लेकिन बगीचे में जाने से पहले उसने एक किताब पढ़ने की सोची। उसने जैसे ही उसे छुआ, वह सोने की बन गई।
वह किताब को पढ़ न सका। फिर वह नाश्ता करने बैठा, जैसे ही उसने फलों और पानी के गिलास को छुआ, वे भी सोने के बन गए। उसकी भूख बढ़ने लगी और वह खुद से बोला। मैं सोने को खा और पी नहीं सकता।
ठीक उसी समय उसकी बेटी दौड़ती हुई वहाँ आई और उसने उसे बाँहों में भर लिया। वह सोने की मूर्ति बन गई। अब राजा के चेहरे से खुशी गायब हो गई।
राजा सर पकड़ कर रोने लगा। वह वरदान देने वाली अजनबी फिर आया और उसने राजा से पूछा कि क्या वह हर चीज को सोना बना देने की अपनी ताकत से खुश है ?
राजा ने बताया की वह दुनिया के सबसे दुखी इंसान है।
राजा ने उसे सारी बात बताई। अजनबी ने पूछा, अब तुम क्या पसंद करोगे, अपना भोजन और प्यारी बिटिया या सोने के ढेर और बिटिया की सोने की मूर्ति। राजा ने गिड़गिड़ाकर माफ़ी मांगी और कहा, मैं अपना सारा सोना छोड़ दूंगा मेहरबानी कर के मेरी बेटी मुझे लौटा दो क्योंकि उसके बिना मेरी हर चीज मूल्यहीन हो गई है।
अजनबी ने राजा से कहा तुम पहले से बुद्धिमान हो गए हो और उसने अपने वरदान को वापिस ले लिया। राजा को अपनी बेटी वापस फिर से मिल गई और उसे एक ऐसी सीख मिली जिसे वह जिंदगी-भर नहीं भुला सका।
एक किसान की कहानी, Story of a farmer
एक किसान था जिसके दो बेटे थे ।
वह बहुत ही आलसी और निकम्मे थे, वह अपने पिता को कामकाज में हाथ बठाने के बजाए आलस किया करते थे, इधर-उधर घूमते-फिरते थे।
किसान को अपने बेटों की बहुत फिकर थी, वोह सोचते थे की मेरे मरने के बाद इनका क्या होगा, यह अपना पेट कैसे भरेंगे, अपने परिवार को कैसे संभाल पायेंगे।
एक दिन किसान की हालत बहुत ही गंभीर थी, कहने का मतलब, किसान मरने की हालत में था।
तभी किसान ने अपने दोनों बेटो को बुलाकर उनसे कहां की, हमारे खेत में एक खजाना गढ़ा हुआ है, लेकिन वह किस जगह है उसकी जानकारी मुझे भी नहीं है, लेकिन खोदने बाद तुमे वो खजाना मिल जाएगा।
इतना कहकर किसान भगवान को प्यारे हो गये।
खजाने की खबर सुनकर दोनो बेटों के मन में लालच आ गया और वो दोनों खेत पर चले गये और खेत को खोदने लगे, खजाने के लालच में कुछ ही दिनों में पूरे खेत को खोदने के बाद वह घर जाकर बैठ गए और वह अपने पिता को कोसने लगे, इसी तरह कुछ महीने बित गए और वर्षा ऋतु का आगमन हुआ।
किसान के बेटों के पास पेट भरने के लिए सिर्फ एक ही जरिया था वोह है खेती।
तब बाकी किसानो की तरह किसान के बेटो ने खेत में बिज बोने शुरु कर दिए।
वर्षा का पाणी पाकर वह बिज अंकुशित हुए और देखते ही देखते खेत लहराने लगे।
ऐसा लग रहा था की हवा के झोके से लहरा रहा था।
यह देखकर किसान के बेटे बहुत खुश हो गये, उन को समझ आ गया की परिश्रम ही सच्चा धन होता है और वो उसी तरह से अपने पिता के शब्दो का मोल भी समझ गये और अपने कामकाज में लग गये।
करण और एक सुंदरी लड़की निया, Karan and a beautiful girl nia
एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में, एक जवान लड़का करण और एक सुंदरी सी लड़की निया रहते थे।
वे दिन भर साथ खेलते, हंसते और अपने दिल की बातें बांटते थे।
जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, उनका रिश्ता और गहरा हो गया, और उन्हें एहसास हुआ कि वे एक-दूसरे से प्यार कर बैठे हैं।
लेकिन किस्मत ने उनके साथ अलग खेल रचा।
निया के पिता को काम के कारण एक दूसरे शहर भेज दिया गया।
नामकरण बेहद दुखी था, लेकिन वे वादा करते हैं कि वे संपर्क में रहेंगे।
सालों बीत गए, और नामकरण ने मेहनत करके अपने सपनों को पूरा किया।
वे एक सफल उद्यमी बन गए, लेकिन वे निया को भूल नहीं पाए।
वहीं, निया ने खुद को एक कलाकार के रूप में साबित किया और नामकरण को फिर से देखने की आशा करती रही।
एक दिन, किस्मत ने उन्हें फिर से आमने-सामने ला दिया, जब एक कला प्रदर्शनी में।
उनकी आँखें मिलीं, और सभी छिपी हुई भावनाओं ने उबल कर सामने आए।
वे पूरी शाम एक-दूसरे से मिलते रहे, अपने जीवनों की खबरें आपस में बांटते रहे।
महसूस करते हुए, कि वे कभी एक-दूसरे को प्यार करना कभी नहीं छोड़ा, नामकरण और निया ने अपने प्यार को दूसरी मौका देने का फैसला किया।
उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया, दूरी का सामना किया, और गलतफहमियों का मुकाबला किया, लेकिन उनका प्यार उन सभी चीजों से मजबूत था।
आखिरकार, वे एक भारतीय परंपरागत शादी में विवाह कर गए, अपने प्रियजनों के बीच।
उनकी प्रेम कहानी बहुतों के लिए प्रेरणा बनी, जो दिखाती थी कि सच्चा प्यार किसी भी रुकावट को पार कर सकता है।
और वे खुशी-खुशी जीते, अपने प्यार को याद करते, और सदैव कृतज्ञ रहते,
जो उन्हें एक दूसरे के प्यार का दूसरा मौका दिया था।
मेरे जीवन साथी, My life partner
एक पति और पत्नी की प्रेम कहानी - मेरी प्यारी सुधा
तुम बिन मैं कुछ नही......सुधा...
मोहन ने सुधा का हाथ अपने हाथ मे लेके बोला...
"डाक्टर कहते है कि तुम मेरी बात नही सुन सकती पर मुझे पता है कि तुम मेरी बात....
मेरा स्पर्श सब महसूस करती हो....मोहन बोला...
फिर कुछ पल एक टक सुधा को देखता रहा...
"जल्दी से ठीक हो जाओ सुधा.....
तुम्हारी ये ख़ामोशी मुझे चुभती है .. ...
मुझे तो वो चुलबुली चहकती ,दिनभर पटर पटर बोलने वाली सुधा चाहिए...
तुम बिन मैं कुछ नहीं... ...
इस अनाथ को तुमने अपने प्यार से एक परिवार का सुख दिया जिसके लिए मैं बचपन से तरसता रहा.. ..
फिर तुम्हारे आने से मेरी बंजर ज़िंदगी जैसे फिर से हरी भरी हो गयी..
अरे ऐसे क्या देख रही हो.. ...
मैं सच कह रहा हूँ सुधा.....
तुमने जहा एक ओर पत्नी बन मेरी ज़िंदगी को प्यार के रंग रंगीन किया ..
वही अपने दुलार व मेरी परवाह कर एक मां की तरह अपने प्यार का आँचल मेरे सर पे रखा...
कभी कुछ गलत करने पे एक पापा की जैसे डांटा औऱ फिर एक पापा के जैसे सही गलत बता के मेरा मार्गदर्शन भी किया.
और कभी खुद बच्ची बन कभी चुस्की की ...,
कभी इमली की ऐसी कितनी छोटी छोटी फरमाइशें कर मुझे बड़प्पन का एहसास दिलाया तुमने..
हमने साथ मे ज़िंदगी के खुशनुमा तीस सावन साथ मे बिताये.. ...
आज जब तुम मुझसे दूर हो तो पहली बार एहसास हो रहा है कि तुम मेरी ज़िंदगी की ज़रूरत नही बल्कि मेरी ज़िंदगी ही हो सुधा.....
यहा अस्तपाल में सब मुझको पागल समझते है मेरे पीठ पीछे मेरा मज़ाक भी उड़ाते है कहते है ...
"कितना बेवकूफ है कोमा में कोई सुनता है भला....
पर मुझे इन पे गुस्सा नही आता..
जब तुम मुझसे रूठती थी तो कहती थी ना....
"ये बादल तो या तो शांत रहता है या गुस्सा की बारिश करता प्यार भरी बारिश तो करना जैसे आता ही नही" ..
"तुमको पता है मैं अब गुस्सा भी नही होता किसी पे करूँ.......
गुस्सा तो अपनो पे किया जाता है ना.....
ये कहके मोहन का गला रुंध हो गया..
मेरी ज़िंदगी की हरियाली तुम ही हो सुधा....
तुम बिन मैं कुछ नही....
प्लीज मेरे दिल की पुकार सुन लो....
मुझे एक बार फिर से अनाथ मत करो,एक बार फिर मेरी बंजर ज़िंदगी को अपने प्यार की हरियाली से हरा कर दो...
सुधा का हाथ अपने हाथ मे लेके आज मोहन जैसे बादलों की बारिश की तरह आंसूओ से बरस पड़ा..
बादल के आंसूओ से सुधा का हाथ भीग गया उसके हाथ मे थोड़ी हलचल हुई..
जैसे मानो मोहन के आँसू बादल रुपी वर्षा से सूखी धरा का रोम रोम खिल गया हो...