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दो पल क लिए मिलना,और प्यार हो जाना, Have two moments together, and fall in love
क्या है ये दो पल का प्यार ??
क्या हो सकता है किसी को दो पल में किसी से प्यार? नहीं जानते? चलिए हम बताते हैं आपको...
फिर आप खुद ही अंदाज़ लगा लीजिएगा कि किसी को दो पल के मुलाकत में प्यार होता है या नहीं।
ये प्रेम कहानी बिहार मे बसी एक छोटा सा गांव महरैल की है...जितनी प्यारी ये गाँव है..उतनी ही प्यारे यहाँ के रहने वाले लोग है ।
यहाँ के लोग अपने जरूरत की समान लाने, गाँव से थोड़ा दूर बसी एक बाजार जाते है।
एक दिन महरैल गाँव के एक लड़का जिसका नाम अभिषेक है ।
वो भी रोज जाता था। एक समय आया की वो रोज सज-धज के उस बाजार जाने लगा...
अब आप पूछोगे....सज धज के क्यों जाने लगा वो ???
तो बात ये थी कि एक दिन जब वो बाजार से गुजर रहा था तो उसे एक लड़की दिखी...
अभिषेक उस लड़की से अपनी नजर हटा ही नही रहे थे....और फिर जब कुछ देर तक
नजर नहीं हटाए तो सामने से लड़की की भी नजर पड़ी उस लड़के पे...फिर क्या....दोनों एक दूसरे को देखते रहे...अब ये दो पल की
यू इस तरह देखा-देखि मैं ही शहजादे को प्यार हो गया....फिर क्या उस दिन के बाद रोज अभिषेक बाजार सज-धज के जाने लगे...और फिर वो इधर उधर
देखे जा रहा था..तभी दूसरी और से एक लड़की गुजर रही थी ..और उस लड़के क चेहरे पे मुस्कुराहट बया कर दी कि अभिषेक का दिल
इन्ही का इंतज़ार कर रहा था...वो लड़की अपने मम्मी के साथ आती थी..हाथ मे थेली थी..जिसे देख के लग रहा था कि वो भी सामान लेने आयी
है...वो लड़का उसे बस देखे जा रहा था..कुछ देर में वो चले जाती है।
ऐसे ही वो रोज बाजार आती और लड़का उस के आने से पहले
वहा आ जाता..और जब तक लड़की बाजार मे रहती वो उसे ही देखते रहता बस..
और फिर उस के जाने के बाद वो भी चला जाता....वो रोज कोशिश करता बात
करने की लेकिन वो जैसे ही बात करने जाता कि वो चल देती थी या सामने कोई आ जाता था।
वो दो पल का वक़्त मैं वो लड़का बस कोशिश
करता कि कैसे वो अपने दिल की बात उस लड़की से कहे...फिर एक दिन किस्मत ने भी उसका साथ दे दिया और एक दिन वो अकेली ही बाजार आयी बस
फिर क्या वो लड़का उस लड़की के पास गया..और उसका का करिश्मा देखो..दोनों एक साथ बोल पड़े कि...मुझे कुछ कहना है
क्या पल था वो...फिर क्या...लड़का डर गया..उसे लगा कहीं इसे बुरा न लग गया हो की मैं इसे रोज यहाँ देखता रहता हूँ या कोई और
बात..वो डर के उस लड़की के तरफ देखा..और धीमी आवाज में उसे कहा ..बोलो क्या हुआ....लड़की फिर कहती है तुम बोलो कि क्या कहना है ?
लड़का डर रहा था कुछ कहने से अब और उसने पहले उसे ही कह दिया की तुम बोलो पहले
फिर अचानक से दोनों एक ही साथ अपनी-अपनी दिल की बाते बोल दी...लड़का सुनते ही अपना होश ही खो दिया
क्योंकि उसे कभी लगा ही नही था की...लड़की भी उससे प्यार करती है।
कुदरत का खेल तो देखो...लड़की भी रोज इसीलिए आती थी कि..वो रोज उस लड़के को देख सके...प्यार दोनों मैं पहले दिन के एक पल से ही
हो गया था। लेकिन एक दूसरे को बताने का मौका नहीं मिल रहा था।
फिर क्या....रोज यही आने लगे एक दूसरे से मिलने लगे।
कुछ समय बाद दोनों ने अपने-अपने घर में बात की और दोनों ने शादी कर ली.....
और इस तरह से वो दोनों हमेशा के लिए साथ हो गए और ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।
इससे ये पता चलता है कि प्यार करने में साल या महीना नहीं लग जाता है प्यार तो वो खुसी है, वो एहसास है, वो विश्वास है जो एक पल में और बस एक नजर में ही किसी को किसी से हो जाता है।
तेरे बिन, Your bin
क्या ऐसा हो सकता है कोई इंसान दुबारा किसी से प्यार कर सकता है ?
दोबारा किसी से मोहब्बत हो सकती है ?
इसका जवाब शायद किसी के लिए हाँ होगा तो किसी के लिये ना !
यह एक कहानी है ये निशा नाम की लड़की की जो अमर नाम क लड़के से बहुत प्यार करती है ।
दोनो कॉलेज के वक़्त से एक दूसरे एक दोस्त थे निशा और अमर एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समजते थी । दोनो एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त थे ।
निशा और अमर हर मुश्किल वक़्त मैं एक दूसरे का साथ देते थी । ओर ख़ुशी के मौके पर भी वो एक दूसरे के साथ होते थी
जब कभी अमर को कोई मुश्किल होती तो निशा हर हाल मैं उसका साथ देती थी ।
इसी तरह जब कभी निशा को मुश्किल का सामना करता पड़ता तब अमर उसके साथ होता और इसी तरह ये दोनों एक दूसरे का साथ निभाते गए और दोनों के बीच मैं मोहब्बत हो गायी।
वक्त के साथ साथ दोनों की मोहोब्बत काफी गेहरी होती गायी ।
कुछ समय बाद दोनों की कॉलेज की पढाई ख़तम होगयी और अमर और निशा दोनों ने ही अछि जॉब ज्वाइन कर ली और इनकी ज़िन्दगी सही से ख़ुशी से गुज़र रही थी ।
पहिर एक दिन निशा ने अमर से कहा की "अमर अब हमें शादी कर लेनी चहिये" ।
अमर ने ये बात सुनकर कहा की "थिक है निशा मैं आज ही अपने घरवालों से बात करता हूँ और तुम भी अपने घरवालों से बात करलो" दोनों ने अपने घरवालों से बात की दोनों के परिवार वाले एक दूसरे से मिले दोनों के परिवारवालों को ये रिश्ता पसंद आया और दोनों ने हाँ कह दी ।
इस रिश्ते के लिए कुछ समय बाद का ही दोनों की सगाई का महूरत निकला और कुछ ही दिनों में दोनों की सगाई काफी धूमधाम से की गयी । कुछ दिनों बाद अमर ने अपनी कंपनी स्टार्ट की जिसमे निशा भी साथ थी दोनों एक साथ अपनी नयी कंपनी को अछेसे चलने लगे कुछ ही समय मैं दोनों की कंपनी ने ाचा बिज़नेस किया ाचा प्रॉफिट किया एक दिन अमर को बिज़नेस के सिलसिले मैं किसी दूसरे शहर जाना पड़ा वहां उसकी मुलाकात प्रेम से होती है दोनों बिज़नेस मीटिंग अटेंड करने के बाद बिज़नेस पार्टी अटेंड करते हैं ।
श पार्टी मैं अमर और प्रेम की अछि दोस्ती होजाती है उस वक़्त दोनों एक दूसरे को अपनी लाइफ की बातें शेयर करते हैं और दोनों हमेशा अपनी दोस्ती निभाए रखने का वादा करते है । जब अमर अपनी गाडी मैं घर जा रहा था तब रास्ते मैं उसका एक्सीडेंट प्रेम की गाडी से होजाता है प्रेम ये हादसा बर्दाश्त नै कर पाया ।
जाब निशा को और अमर के घर वालों को ये बात पता चलती है की अमर का एक्सीडेंट होगया है और वह इस दुनिया मैं नहीं रहा तो वो लोग ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सक पर निशा को ये नहीं पता था की अमर का एक्सीडेंट प्रेम के वजह से हुआ ।
परेम से उनकी ये हालत देखी नहीं गयी इसलिए वह उनकी मदत करने अमर का दोस्त नहीं बल्कि अमर के द्वारा किया गया अप्पोइंटेड एम्प्लोयी जो उनकी कंपनी मैं जॉब ज्वाइन करने वाला था ।
बांके गया वाहन पहुँच कर उसने निशा की हेल्प की अमर और निशा की कंपनी को आगे बढ़ने मैं प्रेम ने अमर के घरवालों को भी संभाला परेम अमर के घरवालों को अपना परिवार बना लिया अमर की छोटी बहन प्रेम को अपना भाई मानने लगी ।
कमार के पापा अमर की डेथ के बाद परलयज़ेड होचुके थे प्रेम ने उनका भी ख्याल रखा अमर की दादी निशा को बेटी मानती थी वह हर वक़्त निशा से कहती की वो कहीं और शादी करले पर निशा उन्हें अपना परिवार मंती थी उसने कभी कहीं और शाडू करने का नहीं सोचा वो अब भी अमर से प्यार करती थी । परेम धीरे धीरे करके उनके परिवार का हिस्सा बन चूका था धीरे धीरे प्रेम निशा से प्यार करने लगा त
निशा भी प्रेम का ये बेहेवियर अमर के परिवार और उसकी कंपनी की तरफ देखके वो भी उससे पसंद करने लगी थी ।
पर प्रेम ने कभी उससे अपनी दिल की बात नहीं कही क्यूंकि उससे डर था की जिस दिन सच्चाई सबके सामने आएगी तो सब उससे नफरत करेंगे । लेकिन अमर की दादी यही चाहती थी की निशा की शादी होजाये प्रेम से ककी प्रेम ही ह जो उससे समाज सकता है और प्यार भी करता है ।
ये सब देखकर प्रेम ने सारी सच्चाई बतादि सबको की कैसे अनजाने मैं उससे एक्सीडेंट होगया और अमर की डेथ होगायी ।
ये सच सुनने के बाद सबको काफी दुःख हुआ और गुस्सा भी आया प्रेम पर निशा को भी गुस्सा आया प्रेम पर और उसने शादी के लिए इंकार कर दिया ।
इस सब के बाद प्रेम वापस जब अपने घर जा रहा था तब उसका एक्सीडेंट होगया प्रेम को ऐसे हॉस्पिटल मैं देख के अमर के घरवालों को ऐसा लगा जैसे वो अपना बीटा दुबारा खो रहे है ।
निशा को तब अपने प्यार का एहसास हुआ की वो प्रेम से प्यार करती है और उससे यह एहसास होता है की कहीं न कहीं अमर भज यही चाहता होगा की उसके जाने के बाद प्रेम से ही वो अपना रिश्ता जोड़ ले ।
पहिर निशा को प्रेम के बैग से एक डायरी मिलती है जिसमें प्रेम ने लिखा होता है की वो निशा से कितना प्यार करता ह पर अपनी अनजाने मैं की गयी गलती से डरता है उसने सब कुछ उस डायरी मैं लिखा होता है अपनी फीलिंग्स अमर की दोस्ती परिवार का प्यार ये सब पढ़कर निशा को एहसास होता है की प्रेम भी उससे प्यार करता है और वो भगवन से प्रार्थना करती है की प्रेम बच जाए ।
ओर भगवन ने उसकी सुनली कुछ देर मैं डॉक्टर्स ाके बताते हैं की प्रेम अब सुरक्षित है और प्रेम के ठीक होने के बाद प्रेम और निशा दोनों शादी कर लेते हैं और ख़ुशी ख़ुशी अपनी ज़िन्दगी बिताते हैं ।
और निशा जिसको लगता था की वो अब किसीसे प्यार नहीं कर पाएगी ये मान लेती है की दुबारा किसी और से सच्चा प्यार किया जा सकता है ।
मेहनती किसान, Diligent farmer
यह कहानी है एक किसान की, जो की बहुत मेहनती था। वह बड़ी मेहनत से खेतों में अनाज उगाता था और उसकी देखभाल करता था। पर अक्सर ही उसकी फसल खराब हो जाती थी।
कभी सूखा पड़ जाता, कभी बाड़ आ जाती, या कभी तेज धूप, और कभी आंधी। कोई ना कोई वजह से उसकी फसल खराब हो ही जाती थी।
1 दोनों किस पेड़ के नीचे बैठकर अपनी बर्बाद हुई फसल को देख रहा था, और तभी वह गुस्से में आसमान की तरफ देखकर भगवान से कहता है ” की मालिक आपको सब बहुत महान मानते हैं और सबसे ज्यादा ज्ञानी मानते हैं, कहते हैं कि आप सब जानते हैं! लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आपको कुछ भी नहीं पता। “
मुझे यह लगता है कि आपको तो यह भी नहीं पता होगा, की फसल कैसे होती है! अगर आप यह जानते होते, तो हर समय जो बाढ़, आंधी, और तूफान आते हैं, वह कभी नहीं आती।
आप नहीं जानते कि कितना नुकसान उठाना पड़ता है हम किसानों को। अगर मेरे हाथ में शक्ति होती, की जैसा मैं चाहूं, वैसा मौसम हो जाए, तो फिर आप देखना मैं फसल को कितने अच्छे तरीके से उगाता हूं।
तभी उतने में ऊपर से एक आवाज आई, ” ले मैं तुझे यह ताकत देता हूं कि आज से तू जैसा चाहे वैसा मौसम करके अपने फसल को उड़ा सकता है, और अपनी फसलों की हिफाजत कर सकता है। “
एक-दो दिन गुजारने के बाद किस ने फिर से अपने खेत में गेहूं की फसल उगाई, अब किसान के पास तो शक्ति थी, वह जैसा चाहे वैसा मौसम कर सकता था। तो किसान ने आंधी, तूफान, और बाढ़, कुछ भी उसने अपने खेतों पर आने नहीं दिया।
किसान ने अपनी फसलों को बर्बाद होने से बचाया, और उस साल उस किसान के खेत में ऐसी फसल हुई, जो पहले कभी नहीं हुई थी। मन-ही-मन किसान बहुत खुश हो रहा था और साथ ही साथ यह सोच भी रहा था कि भगवन को बताऊंगा, कि इसे कहते हैं शक्ति का सही इस्तेमाल।
कुछ दिन और गुजरने के बाद फसल काटने के लिए तैयार हो गई, किसान बड़े उत्सुकता के साथ फसल को काटने लगा, पर जैसे ही उसकी नजर गेंहू की बोलियां पर पड़ी, तो वह हैरान हो गया। क्योँकि उन वालियों में, गेहूं के दाने ही नहीं थे।
गेंहू के एक भी बाली के अंदर, गेहूं का दाना ही नहीं था, सारी बालियां अंदर से खाली थी। अब वह किस बड़ा परेशान हो गया, और फिर से भगवान को पुकारने लगा। वह जोर-जोर से चिल्ला कर यह कह रहा था ” भगवान शायद तूने मुझे कोई सजा दी है! तभी ऊपर से आवाज आई कि मेने तुम्हें कोई सजा नहीं दिया है, बल्कि इसकी जिम्मेदार तो तुम खुद हो!”
तुमने अपने पौधों को संघर्ष करने का मौका ही नहीं दिया। ना तो तुमने उन्हें आंधियों से जूझने दिया, ना ही तेज बारिश से सहने दिया, और ना ही धूप में तपने दिया। एक भी चुनौती का सामना तुमने उन्हें नहीं करने दिया, इसीलिए सारे पौधे अंदर से खोखले रह गए।
जब आंधी, तूफान, तेज बारिश, और धूप पड़ती है तभी यह पौधे संघर्ष करते हैं, और इसी संघर्ष से ताकत पैदा होती है। जिसमें पावर होता है, एनर्जी होती है और इसी संघर्ष से गेहूं का दाना बनता है।
तूने उन्हें बुरे वक्त से गुजरते ही नहीं दिया, जहां उनका बनावट होता, सारी बालियां इसीलिए खोकली रह गई, क्योंकि तुमने अपने पौधों को संघर्ष कराया ही नहीं।
सेम यही चीज दोस्तों हमारे साथ भी होती है, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है: कि बुरा वक्त जो होता है, जिसे लोग संघर्ष कहते हैं, स्ट्रगल कहते हैं, यहीं से एक इंसान की तरक्की होती है।
आपको पता होगा कि जब एक डायरेक्टर कोई मूवी बनता है, तो डायरेक्टर सबसे डिफिकल्ट रोल, अपने बेस्ट एक्टर को देता है। तो जब भी आपको ऐसा लगे, कि आपकी जिंदगी में तकलीफ है, बहुत ज्यादा प्रॉब्लम्स है, और आपकी किस्मत खराब है, तब खुश हो जाइए, क्योंकि उस भगवन ने यह सारी प्रॉब्लम्स आपकी लाइफ में ही क्यों दिया है?
क्योंकि उसे पता है, कि आप इन सब को पार करके आगे निकल सकते हो। और जरा सोच कर तो देखिए की अगर आपकी जिंदगी में कोई प्रॉब्लम ही ना हो, कोई संघर्ष ही ना हो, तब जिंदगी जीने में मजा ही नहीं आता है।
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बरसात का मौसम था आसमान में घने बादल छाए हुए थे। नीम के एक पेड़ पर ढेर सारे कौवे काए काय करते हुए इधर से उधर घूम रहे थे और अपना बसेरा ढूंढ रहे थे।
क्योंकि वे जानते थे कि थोड़ी ही देर में बारिश होने वाली है तभी वह एक छोटी सी मैना आ जाती है सभी कौवे उस पर टूट पड़ते हैं और उस बेचारी मैना को नीम के पेड़ में से चले जाने को कहते हैं।
मैना उन सब से हाथ जोड़कर विनती करती है कि वह आज रात उसे इसी पेड़ में विश्राम करने दें क्योंकि बारिश होने वाली है और अंधेरा भी हो गया है। मुझे अपना घोंसला भी नहीं मिल रहा यह मैना कहती है। कौवे बहुत निर्दई थे।
वह मैना से कहते हैं कि तुम यहां से चले जाओ और उसे यह भी कहते हैं वैसे तो तुम ईश्वर का बहुत नाम लेती हो तो तुम इस बारिश से क्यों डर रही हो तुम ईश्वर के भरोसे ही हमारे घोसले से बाहर निकल जाओ।
इस पर बेचारी मैना को वहां से धक्के मारकर भगा दिया जाता है। मैना भटकते हुए एक आम के पेड़ पर जा पहुंचती है। वही वह खुद को सुरक्षित रखती है रात भर ओले पड़ते हैं। कौवे काय काय करते हुए यहां से वहां भटकते हैं कुछ कौवे तो मर भी जाते हैं।
आम के पेड़ से एक बड़ी टहनी टूटती है और पेड़ के तले में जाकर एक जगह बनाती है और उसी जगह पर मैना रात बिताती है। इसी प्रकार मैना सुरक्षित बच जाती है। अगली सुबह धूप चमकती है और मैना ईश्वर का धन्यवाद करती हुई वहां से उड़ जाती है।
रास्ते में उसे घायल और मारे हुए कौवे मिलते है उनमें से एक कौवा मैना से पूछता है आखिर तुम नन्ही सी जान कैसे जीवित बची इतने भयंकर तूफान से। मैना ने कहा मैं रातभर ईश्वर से प्रार्थना करती रही और उन्होंने ही मेरी रक्षा की है और जो मैं आज आपके सामने जीवित खड़ी हूं यह सब ईश्वर की मेहर हैं।
तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “दुःख में पड़े और असहाय जीव को ईश्वर के अलावा कोई नहीं बचा सकता। इसलिए अपने दुःख में या सुख में हमेशा ईश्वर को ही याद करना चाहिए”।
जीवन जीने का अर्थ, The meaning of living the life
एक आदमी अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहा था।
अचानक एक दिन उसकी पत्नी बीमार हो गई और बहुत इलाज कराने के बाद भी स्वस्थ नहीं हुई।
लेकिन दुर्भाग्यवश थोड़े दिनों बाद पुत्र को भी रोग ने आ घेरा और उसे भी लाख उपचार क्ले पश्चात बचाया नहीं जा सका।
अब तो आदमी पर वज्रपात ही हो गया। वह दिन-रात रोटा रहता। संसार से सर्वथा विरक्त होकर वह एकांतवासी बन गया।
न किसी से कुछ बात करता और न ही मिलता-जुलता। एक दिन अपने पुत्र का स्मरण कर वह देर रात तक रोता रहा, फिर उसकी आँख लग गई।
स्वप्न में वह देवलोक जा पहुंचा। वहां उसने देखा कि छोटे बच्चों का जुलूस निकल रहा है।
उन सभी के हाथों में जलती हुई मोमबत्तियां हैं। उस जुलूस में उसका पुत्र भी चल रहा था, किन्तु उसके हाथ की मोमबत्ती बुझी हुई थी।
आदमी पहले तो अपने पुत्र से लिपटकर खूब रोया, फिर मोमबत्ती बुझने का कारण पूछा, तो पुत्र बोला - पिता जी ! आप मुझे याद करके बार-बार रोते हैं इसलिए आपके आंसुओं से मेरी मोमबत्ती बुझ जाती है।
यह सुनते ही आदमी की नींद खुल गई और उस दिन उसने बच्चे के लिए रोना बंद कर दिया उसकी स्मृति में अनाथ बच्चों की मदद करना शुरू कर दिया।
सार यह है कि रिश्तों से मोह स्वाभाविक है, किन्तु मृत्यु के रूप में उनकी समाप्ति पर शोक में डूबने के स्थान पर उनकी स्मृति में रचनात्मक कर्म करने चाहिए ताकि कुछ बेहतर करने के उल्लास से वे अधिक याद आएं।
अपनी आदतों को बदलने , Change your habits
एक समय का बात है, एक आदमी ट्रेन से कहीं जा रहा था, उसके पास कीमती हीरो की पोटली थी। उस आदमी को 2 दिन और दो रात ट्रेन में गुजारने थे। क्योंकि उतना उसको सफर करना था और उसे कहीं पहुंचना था। सफर के पहले ही दिन एक चोर की नजर उस आदमी के हीरो की पोटली पर पड़ गयी।
अब चोर ने दिमाग लगाया और एक बड़ा सा बैग लेकर उसे आदमी के पास जाकर बैठ गया, और उस आदमी से मीठी-मीठी बातें करने लगा। चोर ने सोचा की रात में जब सब सो जाएंगे, तो मैं चुपके से उठकर उन हीरे को चुरा लूंगा।
यह सोचकर चोर बड़ा ही खुश होने लगा। जब शाम का वक्त हुआ 7 या 8 बज रहे थे, तब चोर सो गया। क्योंकि उसे रात में जागना था और हीरे चुराने थे, इसीलिए वो जल्दी से सो गया। जब उस आदमी की सोने का वक्त आया, उस आदमी ने चुपके से अपने हीरो की पोटली अपने बैग में से निकाल कर, उसके पास जो आदमी सोया था उसके बैग में डाल दी।
और उस आदमी के पास कौन सोया हुआ था? वह चोर ही सोया हुआ था। यह सब करने के बाद वह आदमी आराम से सो गया। रात के जब दो-तीन बज रहे थे, तब वो चोर उठा और उसने देखा सब लोग सो गए हैं। फिर उसने, उस आदमी के बैग को अपनी तरफ खींचा और उस बैग को पूरा चेक कर लिया, उस बैग में कुछ नहीं मिला।
वह परेशान हो गया, सारी रात उसे आदमी के बैग को चेक करने के बाद जब उसे कुछ ना मिला, तब उसने देखा कि सुबह के 4:00 रहे थे, तब वह सो गया। उसके सोने के बाद वह आदमी उठा, उसने अपने हीरो की पोटली उस चोर की बैग से निकालकर अपने बैग में वापस रख ली।
जब सुबह हुई और वो चोर सो कर उठा, उसने देखा कि हीरो की पोटली तो उस आदमी के पास ही है, उसे लगा कि मैं रात मेने कुछ गड़बड़ कि है। शायद उस आदमी के बैग को अच्छे से चेक नहीं किया। उसने फिर से प्लान बनाया, कि इस रात बैग को अच्छे से चेक करना पड़ेगा।
वह चोर फिर से शाम होती ही 7:00 बजे जल्दी से सो गया और उस आदमी ने फिर से अपने हीरो की पोटली को अपने बैग से निकाल कर, उस चोर के बैग में डाल दी। चोर रात में फिर से उठा, उस आदमी के बैग को खिंचा, फिर से ढूंढने लगा, लेकिन हीरे नहीं मिले।
वह परेशान होकर फिर से सो गया। वह आदमी सुबह के 5:00 बजे उठा अपनी हीरो की पोटली चोर की बैग से निकल कर, अपने बैग में वापस डाल दिया। जब सुबह हुई स्टेशन आया वह आदमी स्टेशन पर उतरा, तो चोर उसके पास आकर कहने लगा ” मैं जिंदगी में कभी चोरी नहीं करूंगा, बस मुझे इतना बता दो की हीरो की पोटली रखी कहाँ थी? “
उस आदमी ने कहा ” अरे मूर्ख! तू अपना सुख दूसरों की तरफ ढूंढ रहा था अगर तू खुद के अंदर जाता तो तुझे सुख जरूर मिलता। अगर तू अपने गिरेबान में झांकता, तो तुझे पता चलता कि तू चोर नहीं, मालिक था। वो हीरो की पोटली तेरे ही पास थी!”
दोस्तों इस कहानी से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है: हमेशा अपना सुख दूसरों की तरफ ढूंढते रहते हैं और बहुत से लोग हमारी जिंदगी में आते जाते रहते हैं। कोई हमें सुख देता है तो कोई हमें दुख देता है। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अपनी खुशी दूसरों पर निर्भर कर देते हैं। जबकि अगर आप खुद के अंदर झांकोगे, अपने खुद के गिरेबान मेंझांकोगे तो आपको किसी चीज की कमी महसूस नहीं होगी।
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अपनी क्षमताओं में विश्वास करें, Believe in your abilities
एक जंगल में एक पेड़ की साख पर एक छोटा सा पक्षी बैठा था। वह एक डाल से दूसरी डाल पर कुत्ता फिर तीसरी डाल पर, वह निर्भीक हो के प्रकृति का आनंद ले रहा था। अचानक से जंगल में तूफान आ गया और हवाएं बहुत जोर से चलने लगी, ऐसा लगने लगा कि सारे पेड़ टूट कर गिर जाएंगे।
पर उस छोटे से पक्षी को कोई डर ना था, उसे विश्वास तक क्यों तूफान से अपने आप को बचा लेगा। अगर एक साथ टूट गई तो फिर वह दूसरे साथ पर जाकर बैठ जाएगा। जंगल में ना तो पेड़ों की कमी थी और ना ही शाखों की।
वो जानता है अपनी शक्ति को, उसके पास उड़ने को पंख है, और यही पंख उसकी शक्ति है, और यही उसका विश्वास है।
तो दोस्तों हमें इस कहानी से सीखने मिलती है – मुसीबत आए तो इस नन्हे पक्षी की तरह निर्भीक होकर सामना करो, मत बोलना कि विपरीत परिस्थितियों में ही हमारा सर्वश्रेष्ठ बाहर निकलता है।
याद रखना की पतंग हवा के विपरीत ही उड़ती है, मत भूलना कि जब कोई रास्ता नहीं होता तभी बहुत से रास्ते होते हैं। बशर्त यह की हमें खुद पर विश्वास और अपनी क्षमता पर भरोसा हो।
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अपने आप पर यकीन रखो, Believe in yourself
एक लड़का था, जिसे फुटबॉल खेलने का बहुत शौक था, वह हर दिन मैदान में प्रेक्टिस करने के लिए आता और बहुत ज्यादा प्रैक्टिस करता। उसके पिता भी अक्सर वही मैदान के कोने में बैठे चुपचाप मैदान की ओर देखते रहते थे।
उस लड़के की लगन को देखते हुए स्कूल के कोच ने उस लड़के को स्कूल की टीम में शामिल तो कर लिया, लेकिन उसकी 12वां खिलाड़ी यानी एक एक्स्ट्रा प्लेयर के जगह में रखा।
कुछ दिनों बाद जब स्कूल के मैच शुरू हुए तो लड़का क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल के दौरान चार दिन हो गए लेकिन वह मैदान में पहुंचा ही नहीं।
लेकिन फाइनल मैच के दिन वह मैदान में पहुंच गया और अपने कोच से जाकर कहा ” कि सर आपने हमेशा मुझे अपने टीम में एक एक्स्ट्रा प्लेयर के जगह पर रखा है, कभी भी में टीम में खेलने का मौका ही नहीं दिया।
लेकिन प्लीज! आज मुझे खेलने का एक मौका जरूर दें। उस के कोच ने उस लड़के की बात सुनी और कहा ” कि सॉरी बेटा! मैं तुम्हें यह मौका नहीं दे सकता क्योंकि टीम में तुमसे अच्छे खिलाड़ी मौजूद है।
और वैसे भी यह फाइनल मैच है, स्कूल की इज्जत दाव पर लगी है। मैं तुम्हें यह मौका देकर आज के दिन कोई भी रिस्क नहीं ले सकता। “
लड़के ने फिर कोच से कहा, कि सर प्लीज आज मुझे खेलने दे, और मैं वादा करता हूं कि मैं आज आपके विश्वास को टूटने नहीं दूंगा।
लड़के ने बहुत रिक्वेस्ट भी की, यहां तक की उसकी आंखों में इसी बीच, हल्की सी आंसू भी छलक आए। इससे पहले इस लड़के ने इस तरह कभी भी रिक्वेस्ट नहीं की थी।
कोच को भी लगा कि मुझे इस लड़के को एक मौका जरूर देना चाहिए। कोच ने कहा कि बेटा ठीक है, आज तुम खेलो, लेकिन एक बात याद रखना ” मैंने यह फैसला अपने एक बेहतर फैसले के खिलाफ लिया है। “
और स्कूल की इज्जत दाग पर लगी है बस मुझे अपने इस फैसले पर शर्मिंदा न होना पड़े। खेल शुरू हुआ और लड़का तूफान की तरह खेला, उस लड़के को जब भी फुटबोल मिलती थी वह उस फुटबोल को गोल करके ही रहता था।
और उसकी टीम को उस लड़के की वजह से बहुत ही शानदार चीज मिली। मैच खत्म हो गया और वह लड़का इस मैच का हीरो बन गया। खेल खत्म होने के बाद कोच ने उस लड़के के पास जाकर कहा “कि बेटा मैं इतना गलत कैसे हो सकता हूं? “
” मैंने पहले तुम्हें कभी भी इतना शानदार खेलते हुए नहीं देखा, यह चमत्कार कैसे हुआ? तुम इतना अच्छा कैसे खेल गए? “
उस लड़के ने अपने कोच से कहा ” मुझे मेरे पिताजी खेलते हुए देख रहे थे। ” कोच ने मैदान के उस कोने में देखा, जहां इस लड़के के पिता अक्सर बैठा करते थे।
लेकिन आज वहां कोई भी नहीं बैठा था, कोच उस लड़के से फिर पूछा कि बेटा तुम जब भी प्रेक्टिस करने आते थे, तो तुम्हारे पिताजी अक्सर वहां बैठा करते थे, लेकिन आज वह वहां पर नहीं है।
उस लड़के ने अपने कोच को ये कहा ” की कोच मैंने आपको यह कभी नहीं बताया कि मेरे पिताजी अंधे थे, और चार दिन पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। आज पहली बार हो मुझे ऊपर से खेलते हुए देख रहे थे।
और आज किसी भी कीमत पर में मैच हार नहीं सकता था। क्योंकि आज मेरे पास एक बड़ा लक्ष्य था, उद्देश्य था। में आज मर सकता था लेकिन हार नहीं सकता था। “
और अगर आपके पास अभी तक ऐसी कोई भी वजह नहीं है, तो उसको ढूंढिए जो आपको दिल में एक नया जोश भर दे और भरोसा दिला दे कि अगर आपको अपने आप पर भरोसा है, तो कुछ भी संभव है।
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लालची दूधवाला, Greedy milkman
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में रवि नाम का एक दूधवाला रहता था। वह अपने लालची स्वभाव के लिए जाना जाता था। उसके पास एक गाय थी जो पूरे गांव में सबसे स्वादिष्ट और अधिक मात्रा में दूध दे दी थी। हर सुबह वह दूध निकालता और गांव के लोगों तक पहुंचाता था।
एक दिन रवि को यह एहसास हुआ कि गांव वालों को उसके गाय का दूध बहुत पसंद आ रहा है। इस बात से उसे बहुत खुशी होती है और उसके लालची दिमाग में एक उपाय आता है। वह सोचता है कि “अगर मैं दूध में पानी मिला दूं तो मैं अपना मुनाफा बढ़ा सकता हूं और किसी को पता भी नहीं चलेगा।”
उस दिन के बाद से रवि गांव वालों को दूध पहुंचाने से पहले उसमें पानी मिला देता था। उसे लगने लगा था कि वह बहुत चालाक हो गया है और उसके इस काम के बारे में किसी को नहीं पता चलेगा। फिर भी, गांव वालों को दूध के स्वाद में बदलाव नजर आता है क्योंकि उसका स्वाद अब पहले जैसा नहीं था।
जल्द ही, रवि के दूध में पानी मिलाने की खबर पूरे गांव में फैल जाती है। लोग शिकायत करने लगते हैं और उसके दूध का बहिष्कार करते हैं। लोगों को बहुत गुस्सा आता है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने जिस पर भरोसा किया उसी ने उनके साथ धोखा किया है।
रवि के गलत काम की वजह से उसका धंधा नीचे गिरने लगता है। उसे अपनी गलती का एहसास होता है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। उसकी गांव वालों की नजर में जो इज्जत थी वह खत्म हो चुकी थी। गांव वाले अब उस पर भरोसा नहीं कर सकते थे और उसका दूध लेने से मना करने लगे।
अपने किए पर शर्मिंदा होकर रवि ने फैसला किया कि वह अपने काम करने के तरीके बदलेगा। उसने कसम खा ली कि वह एक ईमानदार व्यापारी बनेगा और गांव वालों का भरोसा वापस जीतेगा। रवि ने फिर से गाओं वालों को शुद्ध और बिना मिलावट के दूध देना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे गांव वालों को रवि के काम करने के तरीके में बदलाव नजर आया और उसकी तारीफ करने लगे। उन्होंने उसे माफ कर दिया और फिर से उससे दूध लेना शुरू कर दिया। रवि ने ईमानदारी के महत्व और लालच के परिणामों के बारे में एक जरुरी सबक सीखा।
उस दिन के बाद से रवि एक ईमानदार दूधवाले के नाम से जाना जाने लगा। उसे उसकी खोई हुई इज्जत और गांव वालों का भरोसा वापस मिल गया। उसका धंधा फिर से चलने लगा। उसे समझ आ गया कि असली सफलता, ईमानदार होने और ईमानदारी से दूसरों की सेवा करने से आती है।
“लालच से अस्थायी लाभ हो सकता है, लेकिन यह अंततः भरोसे को खत्म कर देता है। हालाँकि, ईमानदारी और निष्ठा लंबे समय तक चलने वाली सफलता और सम्मान की कुंजी है।”
लालची बहू, Greedy daughter-in-law
एक समय की बात है एक छोटे से गांव में राम और सीता नाम के कपल रहते थे। उनका एक अर्जुन नाम का बेटा था, जिसकी शादी रिया नाम की लड़की से हुई थी।
राम और सीता कड़ी मेहनत करते थे और अपने बुढ़ापे के लिए पैसे बचा थे। रिया बहुत लालची लड़की थी और हमेशा अपने लिए और चीजें चाहती थी।
जैसे-जैसे साल बीतता गया, रिया का लालच और बढ़ता गया। वह अपने पास रखे चीजों से कभी संतुष्ट नहीं रहती थी। वह हमेशा अपने सास-ससुर से महंगे तोहफे मांगा करती थी और उनके बचाये हुए पैसों में से भी कुछ हिस्सा अपने लिए मांगती थी।
राम और सीता बहुत ही अच्छे पेरेंट्स थे, इसलिए उसकी सारी जरूरतों को पूरा करते थे ताकि परिवार में शांति बनी रहे। वह अपने पति अर्जुन के ऊपर भी दबाव डालती थी, कि वह अपने मां बाप से पैसे और संपत्ति मांगे। वह बहुत ज्यादा संपत्ति कट्ठा करना चाहती थी, बिना किसी मेहनत के।
एक दिन राम और सीता ने यह फैसला लिया कि वह रिया को सबक सिखाएंगे। वह उसे बुलाते हैं और बोलते हैं की “बेटा हमें तुमसे कुछ जरूरी बातें करनी है। हमने यह फैसला लिया है कि हम अपनी जायदाद का कुछ हिस्सा अपने बच्चों में बाटेंगे और उसका कुछ हिस्सा तुम्हे भी देना चाहते हैं.” रिया ख़ुशी से झूम उठती है क्योंकि वह हमेशा से यही चाहती थी।
लेकिन राम और सीता के मन में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने एक पत्थरों से भरा हुआ बैग उसे दे दिया और बोला, बेटी यह तुम्हारे हिस्से की संपत्ति है।
रिया उस बैग को देखकर गुस्सा हो गई। उसने उस पत्थर से भरे हुए बैग को जमीन पर फेंका और जोर से चिल्लाते हुए बोली कि, ” मेरी मजाक उड़ाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। मुझे पैसे चाहिए, ये पत्थर नहीं। ”
राम और सीता ने शांत तरीके से उसे समझाया और बोले “रिया, सच्ची संपत्ति सिर्फ पैसे और चीजों के बारे में नहीं है। यह प्यार, दया और जो कुछ भी तुम्हारे पास है, उसके लिए आभारी होने के बारे में है। हमने हमेशा तुमसे प्यार किया है और तुम्हारी देखभाल की है, और यह पैसों से भी अधिक कीमती है.”
रिया को एहसास हुआ कि वह लालच में कितनी अंधी हो गई थी। उसको अपने किये गए बर्ताव के लिए पछतावा होने लगता है। उसने अपने सास और ससुर से माफ़ी मांगी और अपने तरीके बदलने का वादा किया।
उस दिन के बाद से उसमें बदलाव आया और वह एक अच्छी बहू बन गई। रिया के बदलाव की बात पूरे गाँव में फैल गई और सभी ने एक बेहतर इंसान बनने के लिए उसकी प्रशंसा की।
रिया अपने परिवार का ख्याल रखते हुए और उनके बीच मिले प्यार के लिए आभारी होकर हमेशा खुश रहने लगी।
“सच्चा धन प्यार, दया और जो हमारे पास है उसके लिए आभारी होने से आता है, न कि हमेशा और अधिक चीजों की चाह रखने से।”